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३४.
: प्रावपेङ्गणम्।
. अथ पूर्वानच्छंदमां नामानि कथयति। तं गाहू गात विगाहा उग्गाहा गाहिौ मौंहिणणे खंधा दोहा उक्कच्छा रोला मंधाण चउपा पत्ता-जुला छप्पात्रा पन्झलित्रा अलिला पात्राकुलित्रा चउबोल रड्डा पोमावती कुंडलित्रा गणंग दोबा खंना [सिकवा माला चुलिबाला मोरठा हाकलौ मडभार ग्रहोर दंडकलु दीपक सिंहावलोत्र पबंगम लीलावतौ हरिगोत्रा तौभंगो दुबिल्ला हौर जखहरण मत्रणहरा मरहठ्ठा ॥ - तेतालीसह मत्तहरा दुध पिंगल कलिए मत्ता बित्त परिच्छेत्रो।
इति पिंगलकती मात्रातपरिछेदः ॥ (A). तं गाइ गाहा बिग्गाहा उग्गाहा गाहिणी पौहिणी खंधा दोहा उक्कच्छा रोला गंधाणा चउपदा पत्ता-जुला छपात्रा पन्झटिका अलिंदा पात्राकुल[] णबपात्र पदुमा बत्तौ] कुण्डलिया गणङ्ग दोश्रद् खजा मिक्खा माला चुखियाला सोरट्टा हाकलि मधुभार अहोरु दण्डअलु दीपक सिंहावलोत्र पवङ्गमो लीलावती हरिगोत्रा तिमङ्गो दुशिला हौर जलहरण मश्रणहरा मरहट्टा। वेतालौस मत्तहरा दूध पिंगच्च कबिए मत्ताबित्त परिच्छेत्र श्रीमानो ॥ (B).
तं गाहू गाहा बिग्गाहा जग्गाहा गाहिौ मिहिणी खंधा दोहा उक्कच्छा रोला गंधाणा चउपरा पत्ता-जुला छप्पत्रजुचवं (कम्बचकखणं उल्लाललकवण) पटिका अलिंदा पात्राकुल[] शबपत्र (रत्ता डा पत्ररणं) पद्मावती कुण्डलिया गत्रण दोर खचा सिक्का माखा चूतित्राला सोरट्टा हाकलि महार अहौर
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