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प्राकृतपङ्गलम् ।
जहा, जिणि' कंस बिणासि कित्ति पत्रासित्र
मुट्ठि अरिट्टि' बिणास करे गिरि हत्य' धरे जमलज्जुण भंजिअ पत्रभर गंजिन'
कालिअ कुल संहार करे जस भुषण' भरे। चाणूर बिहंडिअ णित्रकुल मंडिअ
राहा मुह महु पाण करे जिमि भमरबरे सो तुम्ह" णराअण" बिप्प पराअण१६ चित्तह चिंति देउ बरा८ भत्र भौत्र हरा ॥
२०७० ॥ मअणहरा । (A, B, C & F). २०६ । अथैनमेवार्थं निःक्ष्य दोहावृत्तेनाह बेबि मत्तेति । वे अपि मात्र शिरसि श्रादौ ठावि कदू - स्थापयित्वा, अंते बना
२००। १ जेन्हि (A), जणि (B), जणि (C), जिण (F). २ रिडिच मुष्टि (A), मुट्ठिय रिडि (D), अद्विष मुट्ठि (E). १ करू (A, C & E), करु (B & D). ४ तोरि (A), तोलि (B & C). ५ धरू (A, C & E), धर (B & D). & Dropt in (B), पचभार (). . Dropt in (B), गंजिर (F). ८ राहा मुह मड पाण करे जिमि भमर बरे (A), कालौकुल संहार करे (D). ( जसे मुश्मण (B & C), जसु भुवण (F). १० चणर (A), चणकर (B & C), चाणर (E). ११ कुल (B), पिजकुल (C). १२ कालिञ्च कुल संहार करू जस भुवण भरू (A). १३ जणि (B & C), जिम (E). १४ सो तुहहिं (A), सोद तुम्म (B), सोइ तुझ (C), सो तुम (D), सो तुए (E). १५ नारायण (B), नरायण (E). १६ असुर बिदारण (A), पिप्प परायण (B). १० चित्तिकि चिन्तिश्च (B), चितिहि चिन्तिच (C), चिम मह चिंतिष (F). १८ बरू (A), बरो (F). १९ भय भौति हरु (A), भव भौइ हरा (B & C), भय भौउ हरी (F). १०८ (A), 0 (F').
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