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मांत्ररित्त।
अथ सिखा छंद । (३)). ससिबअणि गपगमणि पत्र पत्र दिन छगण पत्रहर सहर सिक्व । पढ पढम बि बिहलहु पअलि दिगण
सहिउ" जुअल दल भणई स सिक्ख ॥ १६१॥ मुत्रल-मृताः जिवित्र-जौवित्वा उडए- उत्तिष्ठति, ततश्च जौवितानान्तेषां चरणाघातेन पुण धमद् - पुनरधो गच्छति मही, पुणु खस - पुनः स्वलति कैलासः. पुण ललदू -पुननल[य]ति स्थानच्युतो भवति भिवः, ततश्च पुण घुमइ - पुनर्पूर्णते गौ, पुणे- बमद - पुनर्वमत्यमृतं, पुनश्च जिबित्र-जौवित्वा उत्थिता मृताः इति ममरे विविधकौतुकं परिदिट्टए- परिदृश्यते ॥ (E).
१६० ॥ यथा अहौति ॥ अहिलल[य]ति, महौ चलति], गिरिः पतति, हरः स्खलति, शशौ घर्णते, अमृतं वमति, मृताः जीवंतो भवंति ॥ एवं मतौति शेषः पुन * * ति, पुनः स्खलति, पुनलल[य]ति, पुनः घर्षति, पुनर्वमति, जीविता विविधाः, एवं प्रकारेण समरो दृश्यते ॥ ६ ॥ (G).
१११ । १६ गण (A), र गण (B & C), गण छ (B) १ पोहर (D). १ स (B & F), हस (C, D & E). ४ ला विविड (D), ल dropt in (F).
परिष (B & C), सहित (D), सहिष (E), लहिण (F). रजबह (D & E). Horf (B). 5MP (A), *? (F). Vide metre of the same vame, but of a different character, in the Sanskrit treatise of Pingala. Ghosha's Compendium, pp. 26 and 56.
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