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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 64 प्राचीन भारतीय अभिलेख कनक-रजत-वज्र-वैडूर्यरत्नोपचय-विष्यन्दमान-कोशेन स्फुट-लघुमधुर-चित्र-कान्त-शब्दसमयोदारालंकृत-गद्य-पद्य-(काव्य-विधान प्रवीणे )न प्रमाण-मानोन्मानस्वर-गति-वर्ण-सार-सत्त्वादिभिः। 15. परम-लक्षण-व्यंजनैरुपेत-कान्त-मूर्तिना स्वयमधिगत-महाक्षत्रप-नाम्ना नरेद्र-क( न्या) स्वयंवरानेक-माल्य-प्राप्त-दाम्न(1) महाक्षत्रपेण रुद्रदाम्ना वर्षसहस्राय गो-ब्रा( ह्य) ण)...(w) धर्मकीर्तिवृद्धयर्थं च अपीडयि( त्व) कर-बिष्टि16. प्रणयाक्रियाभिः पौर-जानपदं जनं स्वस्मात्कोशान्महता धनोघेन अनतिमहता च कालेन त्रिगुण-दृढ़तर-विस्तारायाम सेतुं विधा (य) (स)वत (टे). . .(सु) दर्शनतरं कारितमिति (1) (अस्मिन्नर्थे 17. (च) महा( क्षत्रप( स्य) मतिसचिव-कर्मसचिवैरमात्य-गुण समुधुक्तैरप्यतिमहत्त्वाइँदस्यानुत्साह-विमुख-मतिभि(:) प्रत्याख्यातारंभ 18. पुनः सेतुबन्ध-नैराश्याद्धाहाभूतासु प्रजासु इहाधिष्ठाने पौरजानपद जनानुग्रहार्थं पार्थिवेन कृत्स्नानामानर्त-सुराष्ट्रानां पालनात्थन्नियुक्तेन 19. पहलवेन कुलेप-पुत्रेणामात्येन सुविशाखेन यथावदर्थ-धर्मव्यवहार दर्शनैरनुरागमभिवर्द्धयता शक्तेन दान्तेनाचपलेनाविस्मितेनार्येणाहार्येण 20. स्वाधिष्ठिता धर्म-कीर्तियशांसि भर्तुरभिवर्द्धयतानुष्ठित( मि )ति। 1. सिद्ध हो। गिरिनगर (जूनागढ़) का निकटवर्ती यह सुदर्शन तालाब सारी पालें (तटबन्ध) मिट्टी, पत्थर से (अपनी) लम्बाई, चौड़ाई तथा ऊंचाई में गाढ एवं दृढ़ता से बद्ध होने से, पर्वत पाद (श्रेणी, पहाड़ियों) से 2. स्पर्धा करने वाला; बनावट में ठोस. . . श्रेष्ठ व प्राकृतिक बांध से युक्त, नालियां तथा बढ़े हुए जल को निकालने के लिये निर्मित गोमूत्रक (अथवा द्वार वाले नाले), तीन भागों में विभक्त. ..सेना (?) आदि की कृपा से विशाल परिमाण में है। सो यह राजा महाक्षत्रप स्वनामधन्य स्वामी चष्टन के पौत्र, (क्षत्रप राजा स्वनाम धन्य स्वामी जयदामा के) पुत्र; महाक्षत्रप राजा, जिसे रुद्रदामा के नाम से पुकारने की गुरुजनों को आदत हो गयी है, बहोत्तरवे (शकसंवत् के) वर्ष के For Private And Personal Use Only
SR No.020555
Book TitlePrachin Bharatiya Abhilekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwatilal Rajpurohit
PublisherShivalik Prakashan
Publication Year2007
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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