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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 1. 2. 3. 4. 5. 6. 1. 2. 3. 4. 5. 6. 1. 2. www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कनिष्क द्वितीय का आर शिलालेख' आर-अटक से 10 मील दूर ग्राम (पाकिस्तान), भाषा - प्राकृत, लिपि - खरोष्ठी, वर्ष 41 ( 119 ई० ) महरजस रजतिरजस देवपु( त्रस ) (क) इ ( स ) रस व( झि )ष्यपुत्रस कनिष्कस संवत्सर एकचप (रि) - (शए) सं0 20 (+) 20 (+) । जेठस मसस दिव (से) 1 इ ( शं) दिवस-क्षुणमि ख( दे ) (कुपे) दषव्हरेन पौषपुरिअ पुत्रण मतर पितरण पुय(ए) (अत्म)णस सभर्य ( स ) ( स ) पुत्रस' अनुग्रहर्थए सर्व (सपण जति (षु) (हि) तए । इमां च लिखितो म( धु) ...( 1 ) महाराज राजातिराज देवपुत्र केसर (रोमन सम्राटों का विरुद) वासिष्कपुत्र कनिष्क के 41 वें वर्ष के ज्येष्ठ मास के प्रथम दिन - इस दिन के (शुभ) मुहूर्त में दाषपरन्ने कुआ खोदा पौषपुरिक के पुत्रों तथा माता-पिता की पूजा के लिये ( सम्मान में) पत्नी एवं पुत्र सहित हिरण्य के अनुग्रह (लाभ) के लिये, सारे प्राणियों के जन्मजन्मान्तर में होने वाले लाभ अथवा रक्षा के लिये । इस लेख को म (धु) .ने लिखा। एपि० इ० 1908, पृ० 58, ए०३० 22, पृ० 130 कार्पस, 2, पृ० 165 अवलेश्वर लेख में भी ऐसा ही पाठ है 7. भगवता आपुरा 8. तापुसेन स पुतस 9. सभायस 56 For Private And Personal Use Only
SR No.020555
Book TitlePrachin Bharatiya Abhilekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwatilal Rajpurohit
PublisherShivalik Prakashan
Publication Year2007
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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