________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
परमार भोजदेव का बांसवाड़ा ताम्रलेख
बांसवाड़ा-राजस्थान। भाषा-संस्कृत, लिपि-11वीं शती की नागरी, सं० 1076 ( 1020 ई०) ओं। जयति व्योमकेशौ(शोऽ)सौ यः सर्गाय वि(बि)भर्ति तां (ताम् )।
ऐंदवी शिरसा लेखां ज2. गद्वी(द्वी )जांकुराकृति( तिम् )॥ [10] तन्वंतु वः स्मरारातेः
कल्याणमनिशं जटाः। कल्पांतसमयोद्दामतडिद्वलयपिंगलाः॥ [21] परमभट्टारकमहारा जाधिराज-परमेश्वर-श्री[ सी ]यकदेव-पादानुध्यातपरमभट्टारक-महाराजाधिराज-परमेश्वर-श्रीवाक्पतिराजदेव-पादानुध्यात
परम-भ6. ट्टारक-महाराजाधिराज-परमेश्वर-श्रीसिंधुराजदेव- पादानुध्यात
परमभट्टारक-महाराजाधिराज-परमेश्वर-श्रीभोजदेवः कुशली। स्थली-मण्डले घाघ्रदोरभोगांतःपाति-वटपद्रके श(स )मुपगतान्समस्तराजपुरुषान्वा (ब्राह्मणोत्तरान्प्रतिनिवासि-जनपदादींश्च समादिशत्यसु
(स्तु) व: संविदितं। 1. ए० इ० 11 पृ० 81 व आगे।
287
For Private And Personal Use Only