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मिहिर भोज की ग्वालियर प्रशस्ति
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17.
अन्तःपुरपुर नामक मंदिर बनवाया।25. जब तक आकाश गंगा का उत्तरीय (दुपट्टा) फैला है. जब तक कठिन तप करने वाले तपस्वियों का प्रभाव है, जब तक पूर्ण फल सर्वोपरि होकर पालन करता है तब तक इसकी यह श्रेष्ठ कीर्ति जगत् को पवित्र करती रहे। 26 विश्व के पालक, श्रेष्ठ मुनियों में प्रतिष्ठाप्राप्त राजा भोजदेव के समक्ष विवेक अन्तर्वृत्ति (निगूढ) सा स्थित है। विद्वज्जनों के द्वारा अर्जित तप के फल के समान राजा भोजदेव से भी आगे अद्वितीय पुत्र बालादित्य इस प्रशस्ति का कवि है। यह प्रशस्ति जगत् के साथ प्रलय पर्यन्त रहे। 27
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