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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुमारगुप्त बन्धुवर्मा का मंदसौर शिलालेख 127 1. 2. 3. सिद्धि हो। वह सूर्य आपकी रक्षा करे जो जगत् के विनाश तथा अभ्युदय के कारण हैं, जो अस्तित्व अथवा सत्ता के लिये देवताओं के द्वारा, सिद्धि के इच्छुक सिद्धों के द्वारा, सतत ध्यान में लीन संयमी-जनों के द्वारा, मोक्ष के कामी योगिजनों के द्वारा तथा शाप देने में सक्षम कठोर तप करने वाले मुनियों के द्वारा भक्तिपूर्वक पूजे जाता हैं।।1।। तत्त्वज्ञान के वेत्ता ब्रह्मर्षि, जो सतत यथार्थ ज्ञान के लिये प्रयत्नशील रहते हैं, भी जिसे पूर्ण रूपेण नहीं जान पाये; जो अपनी विकीर्ण किरणों से त्रिभुवन का पोषण करता है, गान्धर्व, देवता, सिद्ध, किन्नर तथा मनुष्य जिसकी उदय (प्रातः) काल में स्तुति करते हैं; एवं जो भक्तों को वांछित फल देता है उस सविता (सूर्य) को प्रणाम।2। वह विवरस्वान् (सूर्य) आपकी रक्षा करे तो उदयाचल के विस्तीर्ण एवं उत्तुङ्ग शिखर पर अपने किरण-जाल को फैलाकर प्रतिदिन प्रकाशित (भासमान) होता है, जो मदोन्मत्त मणियों के कपोल-देश के समान ताम्र (रक्तिम) वर्ण है तथा जो मनोरम किरणों से अलङ्कृत है।3 कुसुम के भार से झुके हुए वृक्ष, देवालय, सभाभवन तथा विहार से रमणीय एवं वृक्ष-वनस्पति से ढंके पर्वतों से युक्त लाट देश से सुप्रसिद्ध शिल्पी (कलाकार) स्पष्ट ही (मालव) देश तथा (यहां के) नरेश के गुण से आकृष्ट होने से एवं उनके प्रति, पहले से मानसिक आदर उत्पन्न हो जाने से मार्गजन्य सतत दुःखों की उपेक्षा कर अपने पुत्र तथा बन्धुजनों सहित वे दशपुर (मन्दसौर) चले आये। 4-5 यह (दशपुर इस मालव) भूमि का क्रमशः शिरोभूषण हो गया जो मदमत्त गज के गण्डस्थल से टपकते मद की बूंदों से सिंचित पाषाण वाले सहस्रों पर्वतों से विभूषित है तथा पुष्पों से झुके वृक्ष-समूह से अलङ्कृत है। 6 तट के वृक्ष से गिरने वाले अमित पुष्पों से तटवर्ती रंग-बिरंगे जल वाले विकसित कमलों से अलङ्कृत एवं बत्तखों से युक्त जहां के सरोवर हैं। 7 तथा कहीं चञ्चल लहरों से कांपते कमल से गिरे पराग से पीतवर्ण के हंसों 5. For Private And Personal Use Only
SR No.020555
Book TitlePrachin Bharatiya Abhilekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwatilal Rajpurohit
PublisherShivalik Prakashan
Publication Year2007
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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