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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पार--(ग) सकना, करने में समर्थ होना ( शक्य होणे ) केयार--(केदार) क्षेत्र, कुंकुम-(कुंकुम) केशर. तुसार-(तुषार) हिम, बर्फ. कोस--(कोश) कोश (द्रव्यकोश, द्रव्य भांडार) मयरद्धय-(मकरध्वज) जिसके ध्वज पर मकर का चिह्न है वह मदन (ज्याच्या ध्वजावर मकराचे चिन्ह आहे तो मदन) कविजला--( कपिजला ) कपिजला नाम की दूसरी सखी दामी, जिसने वरमाला तैयार की थी। (जिने वरमाला तयार केली ती कपि जला नावाची दुसरी सखी दामी) अप्पडिवयण--(अप्रतिवचन) जवाब न देना (उत्तर न देणे) पडिसेह-(प्रतिषेध) निषेध. कलयंठ--(कलकण्ठ) मधुर स्वरयुक्त, कोकिला. करवाल--(करवाल) खड्ग (तलवार) नियर--(निकर) समूह. फुट्ट--( स्फुट ) फुटना ( फुटणे) भेसण--(भीषण ) भयानक. वेव--( वेप ) कंपना ( कापणे, थरथरणे) ईसिं--( ईषत् ) किंचित्. तरंगिणी-(तरङ्गिणी ) जिसमें तरंग हो वह, नदी. परिस्संत-(परिश्रान्त ) श्रान्त (दर्पण) किच्चिरं--( कियत् चिरं) कितना काल ( किती वेळ ) सहस्सनयण-( सहस्र नयन), जिसके सहस्र आँख हो वह, इंद्र पच्चाएस-(प्रत्यादेश ) निराकरण. कंदल--(कन्दल ) लताबिशेष, अंकुर. For Private And Personal Use Only
SR No.020552
Book TitlePayaya Kusumavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhav S Randive
PublisherPrakrit Bhasha Prachar Samiti
Publication Year1972
Total Pages169
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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