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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७. दमयंती सयंवरो मय-(नय) न्याय, नीति. पाय-(त्याग) त्याग कुक्खि -(कुक्षि) उदर (कूख) सरह-(शरभ) अष्टपाद भयानक शरभ नाम का पशु कि जो हाती या शेर से भी सामर्थ्यशाली होता है । ( हत्ती किंवा सिंहाहूनही अधिक शक्तिशाली असे शरभ नावाचे आठ पायांचे रानटी जनावर) जह-(यूथ) समूह (कळप) तरणि-(तरणि) सूर्य सिरिवच्छ-(श्रीवत्स) तीर्थकरादि महापुरुष के वक्षस्थळ पर चार दल के कमल के समान वाल का शुभ चिह्न । तीर्थकरादि महापुरुषाच्या छातीवर चार पाकळ्या युक्त कमळासारखे असलेले केसांचे शुभ चिन्ह) दम (दमय) दमन करना (दमन करणे) सियपक्ख-(सितपक्ष) शुक्लपक्ष. कलोवज्झाय-(कलाउपाध्याय) कलाओं का अध्यापक (कलांचा अध्यापक) आयंस-(आदर्श) दर्पण (आरसा) संकंत- (संक्रान्त) संक्रांत होना, आत्मसात होना (आत्मसात होणे) असरिस-(असदृश) असामान्य सुवत्त-(सुवृत्त) उत्तम प्रकार वाले (उत्तम आकार असलेले) बंधुर--(बंधुर) मोहक, सुंदर. दुकल--(दुकूल) रेशमी वस्त्र. महिनाह--(महिनाथ) पृथ्विपति, राजा. चक्खुविक्खेव--(चक्षुर्विक्षेप) नेत्रकटाक्ष. परवंचणवसणिणो--(परवञ्चना व्यसनशीला:) परवंचना करने का जिनका अभ्यास है वे ( दुसऱ्याची फसवणूक करण्याची सवय असलेले) For Private And Personal Use Only
SR No.020552
Book TitlePayaya Kusumavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhav S Randive
PublisherPrakrit Bhasha Prachar Samiti
Publication Year1972
Total Pages169
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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