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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दासवेडी-(दासचेटी) दासी (मोलकरीण) परिवेम-(परि+विष्) परोसना (वाढणे) मह-(मह) उत्सव अरइ-(अरति) वेचैनी (दुःख) विगुप्प-( वि+गोपय् ) फजिहत या तिरस्कार करना ( फजिती किंवा तिरस्कार करणे) अधिइ-- अति) धीरज का अभाव ( धैर्य गलित ) अप्पहाय- अप्रभात) बडी सबेर (पहाट) . वद्धाव- (वर्धय वर्धापय् ) बधाई देना ( अभ्युदयाची इच्छा करणे ) मास-(माष) परिमाणविशेष, मासा.. आरक्खियपुरिस- (आरक्षित पुरुष) कोटवाल (कोतवाल) डिभरूव-(डिम्भरूप) बालक परिणयण-(परिणयन) विवाह पज्जत-(पर्याप्त काफी (पुरे) परिभाव-(परि+भावय) पर्यालोचन करना ( चिंतन करणे) उवरम-(उप+रम्) निवृत्त होना, विरत होना (विरत होणे) अवहीर-(अव+धीरय) अवज्ञा करना (अवज्ञा करणे) अवगण-(अव+ गणय् ) अनादर करना (अनादर करणे) अवमण्ण-(अव+मन्) तिरस्कार करना ( तिरस्कार करणे ) इयर-इतर) सामान्य सर-(स्म) स्मरण करना (स्मरण करणे) आयारभंडग-(आचारभण्डक) मुनि उपकरण निट्ठिय-(निप्ठित) निष्पन्न, सिद्ध. धम्मलाभ-(धर्म लाभ) धर्म लाभ हो ऐसा आशीष ( धर्मलाभ होवी असा आशीर्वाद For Private And Personal Use Only
SR No.020552
Book TitlePayaya Kusumavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhav S Randive
PublisherPrakrit Bhasha Prachar Samiti
Publication Year1972
Total Pages169
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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