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२. कालगायरियकहा
सरिस-(सदृशः समान सुत्ति-(शुक्ति) सीप (शिंपली) चूयपायव-(च्यूतपादप) आम्रवृक्ष देसणा-(देशना) उपदेश) सुयणाण-(श्रुत ज्ञान) अंग, उपांगादि धर्मग्रंथ. गीयत्य-(गीतार्थ) ज्ञानी जैन मुनि मूरि-(सूरि) आचार्य इत्थीलोलो-(स्त्रीलोलुप) स्त्रीलोलुप (स्त्रीलंपट) विल-(विफल) फलरहित धम्मह-(मन्मथ) कामदेव, मदन कामगहगहिल्ल-( कामग्रहग्रसित ) कामपिशाच से प्रसित (कामपिशाच्चाने
झपाटलेला) ओरोह-(अवरोध) अंतःपुर छूढ-(क्षिप्त) क्षिप्त (टाकले गेले) लिगिगी-(लिंगिणी) साध्वी मुस- मुष्) चोरी करना (लुबाडणे) मुय-(मुञ्च्) मुक्त करना (सोडणे मिच्छा-(मिथ्या) मिथ्या, व्यर्थ होना, (फुकट जाणे) कइयव-(कैतव) कपट, दंभ. झंप-(आ+च्छादय्) झांपना, आच्छादन करना (झाकून टाकण) रोह-(रुद्ध) घेरना (वेढा देणे) र हिर-(रुधिर) रक्त तज्ज- तर्जय) तर्जन करना, भर्त्सना करना (निर्भत्सना करणे) निद्धाड-(निर्धारय् ) बाहर निकालना (हाकलून देणे) सुज्झ-(शुध्) शुद्ध होना (शुद्ध होणे) :
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