________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (6.) ममुक्षुभिः / सुबुद्धिभि विषयेप्सुभिश्च / स्वष्टसिद्धये त्वमेव ध्येयागेया पूज्याज्ञेयाश्रयणीयेति भावः // उवाङ्मनोतीतरूपामे हृदि स्थीयताम् // ॐवाङ्मनोतीतसौंदर्यस्वरूपायै नमः ॐवाम०सौंदर्यस्वरूपं पूजयामि नमः ॐमृदुमंजुलसूक्ष्मसंध्यारुणस्वर्णसूत्रचातुर्यान. यवसनवासित स्वर्णाभरणभूषित कजलकस्तुरिकादिकलाबिंदुविशेषविलसितधैर्यगांभीर्यभक्तत्राणपरायणत्व सदयहृदयताद्यनंत गुणसंपन्नशृंगारकरुणादिरसालयषडूमिरहित सदा षोडशवर्षवयस्काखण्डषड्भगसहित सकलसौंदर्य सुधासारा वास चारुसांगशुभग सकल वामनीतीतमहिमशालि सचिदानंदरूप भक्तानुग्रहवशघृत शोभनीयसकलस्वरूपायै न. मः // 1 // ॐमूदु० भक्तानुगृहवशधृत शोभनीयसकलशरीरम् // पू० // 1 // ॐमाणिक्यमणिस्तोमखचित हेमकिरीट. जुष्ट मुक्तादामालंकृत श्रीफलाकारातिसुन्दरशीर्षायै नमः॥ 2 // ॐमाणिक्य. श्रीफलाकारातिसुन्दशीर्ष पूजयामि नमः॥२॥ॐ उद्यत दहशतरणिश्रेणिसिंदूरलेखालसितकल्प. द्रुमकुसुमोडुगणविलसित सघनघनश्याम स्निग्धघावलंबि सरलकचरुतवेणिकायै नमः // 3 // ॐ उद्यद्वादश जंगावलंबिसरलकचरुतवेणी पू० // 3 // ॐकदलीपत्रष्टष्टायै नमः // 4 // ॐकदलिपत्रप्टष्टं पू० // 4 // ॐतमःश्यामस्निग्धक चरुतकलापायै नमः // 5 // ॐतमः० कचरूतकल पदयं पू:० // 5 // ॐ उद्यत्तरणिश्रेणिसिंदुरपुरलेखालसितसीमंतायै नमः // 6 // ॐउद्यत्तरणि सिंदूरपूरलेखालसितसीमंतं पू० // 6 // For Private and Personal Use Only