________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 83 ) समर्थोनरोभवति // विष्ण्वाख्यासंपठनाइयाकरः पालका ज्ञानी 67 // अष्टोत्तरशतनाम्नां महात्म्यं हि वटुकभैरवस्य // उक्तं तत्प्रेरणया पठतां नणां भवेत्सिद्धिः॥ 68 // यद्यन्नाम सुभजनाद्याया सिद्धिरुदारिता // सासास्माच्छतपूर्वाष्ठनामपाठादवेध्रुवम् // 69 // एकनात्म्नश्चपाठादै सिद्धिरेकापि संभवेत् // भक्तस्यात्यन्तिकस्येह रूपया भैरवस्यहि 70 // भैरव भैरव भैरव भजतां न्ढणां च सिद्धयःसर्वाः // हस्तस्थिता भवन्ति हि किमुवक्तव्यं समयसंपठनात् // 71 // विष्णो विष्णो विष्णो संवदतां सर्वगोदेवः // रक्षति जनं स्वकीयं कार्ये सर्वत्र सहायकोभवति // 72 // वटुकनाथ माहात्म्यं नामामृतसंयुतं च जिह्वायाम् // विधृतं येन हि भाग्यादमरःसनरोऽजरोभवति // 73 // इतिश्री परभैरवप्रेरणया श्रीमदानन्दानन्दनाथपूज्यपादशिष्यश्रीप्रतिभानन्द नाथविरचितमापदुद्वारकवटुकभैरवाष्टोत्तरशतनामामृतमाहा. त्म्यं तथाचैकनाममाहात्म्यम् समाप्तम् // इतिश्री स्तोत्ररत्नावली समाप्ता / / For Private and Personal Use Only