________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 77 ) विजयतेतराम // ॐ गलद्रक्तमुण्डं कृपाणिंभीति वरं संदधाना करैरम्यरूपैः // गलत्सृक्विणी रक्तधारामुखाब्जा मवन्ती जनान्स्वान् भजे श्यामलाम्बाम् // 1 ॥शबाकार शम्भुस्थितां सामरस्य प्रमोदांसदा चन्द्रमौलि त्रिनेत्राम् // लसत्स्मेरवक्त्रां विवासाविलासा प्रतित्वां प्रपन्नोस्मिभक्ता निहंत्रीम् // 2 // त्वमेकैव विश्वस्य माता विधात्री तथा संहरीभोगमोक्षकदात्री॥घनश्यामलांगीरुपापर्णवृष्टिःस्थिता मन्मनस्तावके धाग्निभूयाः // 3 // त्वदीये पदाब्जे प्रपन्ना जना ये मनोभीष्टदानप्रवीणेन तेषाम् // कृपालोकनात् ते हि मातर्भयं नो मतिनैवशेगो न शोकोभवानि // 4 // सदासविलासः सदासहिमर्शः सदादानकर्ता सुपात्रेस्वतन्त्रः सुखीवीर्य सौन्दर्यशाली सुभक्तः कविर्तानवांस्ते कटाक्षावलोकी // 5 // पञ्जरत्नमिदं स्तोत्रं नरः पठति नित्यदा // शिवा रुपाकढानार्थी ध्यानकच्चेष्टमाप्नुयात् // इति पञ्चरत्नस्तोत्रं समाप्तम्॥ श्रीमत्पराभैरवो विजयतेतराम् // नित्यःशुद्धः सुबुद्धः परमहितकरोलीलयाबालरूपः शुलं दण्डंदधानः स्फटिकवररुचि श्चन्द्रचूडस्त्रिनेत्रः आपभ्धः संप्रमोक्ता निजशरणगतान् संप्रयोक्ता सुखानां कालःपालस्त्रि. For Private and Personal Use Only