________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शिष्य श्रीप्रतिभानन्दनाथ विरचितं श्रीगुर्वष्टोत्तरशतनाम संपूर्णम् // ॥ॐ॥ ॥श्री॥ ॐ / मूलस्थितां कुण्डलिनी सुषुम्णामार्गेण शुक्लाजसहस्रपत्रे // चिच्चन्द्रबिम्बामृतपानशक्तां तामेवज्वालावदनां नमामि // 1 // श्रुतौविगीताखिलविश्वरूपा ज्ञानप्रकाशा हृदिसंनिविष्टा या ब्रह्मरूपा परमात्मशक्तिर्वालामुखी तां मनसा नमामि // 2 // यस्याःप्रसादाद्विधि विष्णुरुद्राः कुर्वन्ति विश्वस्य विधानत्यम् // कृतान्तवैश्वानर तुल्यदीप्तिं पश्याम्यहन्तां ज्वलनाननाम्बाम् // 3 // धराम्बुतेजो निलखानि यस्याः तत्वानि पंचैव समुद्भवन्ति // रूपाणि यस्याश्च तथेन्द्रियाणी ज्वालामुखी तां० // 4 // मात्रा मनोबुद्धिरहंकृतिया चित्तं च जीवं परमात्मतत्वं // लीलार्थमेकैव बहुस्वरूपा ज्वाला० // 5 // हव्यं च होतारमथानलं च होमंफलं स्वा त्मनि या विभज्य एकैवक्रीडत्यनिशंमहेशी ज्वाला // 3 // या संस्मृताभीतिमपास्य दूरंसुखैकनिष्टं मनुजं करोति सुबुद्धि दात्री भवति प्रसिद्ध ज्वालामुखी० // 7 // यस्यां मनोन्यस्य सुयातियोगी संसारपारं परमं प्रकाशम् // पदंध्रुवनित्यमना मयंतत् ज्यालामुखी तां मनसानमामि ॥८॥इत्यष्टकं श्री ज्वलनाम्बिकायाः भक्तः पठेत् ध्यानकरः सदायःसयातिदिव्यं परदेवतायाः पदंप्रकाशात्मकमात्म शक्तेः॥ 9 // इतिश्री ज्वालामुखीस्तोत्रं सपूर्णम् // श्रीरस्तु // श्रीः // For Private and Personal Use Only