________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 72 ) // 4 // संसारधर्मसंतप्त संश्रितामृतवर्षणः // निजानुभावसंदृष्टि दासदोषापहारकः // 5 // अहेतुकळपापारपारावारोऽभयप्रदः // निजाधिनतिसंयुक्त समुन्नतिविधायकः // 6 // परापादाब्जसंसेवा नानानन्दप्रदाकः // निजप्रसादसंदान शिष्यशुद्धिविधानकत् // 7 // मूर्द्धस्थनाथकंजांघ्रि मकरन्द झरीप्लुतः // स्वशिष्यवृह्मकृद्दीरो मन्त्रतन्त्ररहस्यवित् // 8 // सहस्रदलमूर्धन्य शुक्लपङ्कजमध्यगः // प्रकाशेन्दुसुधापान परायणप्रसन्नधीः // 6 // अज्ञानचर्वणाशक्त स्वरूपोदय दर्शकः // रोगशोकभयक्लेश हारकोभुक्तिमोक्तदः १०॥शाम्भ वीखेचरीमुद्रा दृष्टज्योतिरगादधीः मानागम्यपदःसृष्टिस्थिति संहारकारकः // 11 ॥वराभयकरोहीर मुक्ताफलविभूषितः / ज्ञानमुद्रापुस्तकाच्य करकञ्जविराजितः॥ १२॥ज्ञानानन्दप्रसनात्मा प्रबुद्धमुखपङ्कजः // प्रफुल्लनयनाम्भोजो महानन्दस्वरूपवाक् // 13 // सर्वस्वदातृसच्छिष्यकरुणाषोडशीप्रदः // सङ्केतसूचना तत्वदर्शकोमहिमार्णवः // 14 // वामोत्सङ्गसमारूढ स्वसमानगुणाकरा // रक्तकञ्जधरस्वात्मा शक्तिसंश्लिष्ट देहिकः // 15 // प्रभङ्गोवृतपापिष्ट परापादाब्जपूजकः // आनन्दानन्दनाथाख्यः शिष्योद्धारावतारकः // 13 // शिवशक्ति सदासाम रस्यानन्दसुभुग्विभुः // शिवशक्त्यैक्यभावस्थ पराक्रमपरायणः // 17 // इदन्तामधुशैवाग्नि होमहत्यररू पधृक् // सर्वमङ्गलकन्नामा दुर्ज्ञानेन्धनपावकः // 18 // संकल्पसिद्धिदोजीव सर्वशास्त्रार्थसिद्धिमत् // सर्वरूपोमहाभान रनन्योंदीनवत्सलः // 19 // कृतज्ञकरकृत्यादि शमनःशान्त For Private and Personal Use Only