________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 71 ) त्वन्नामोच्चारणेनैव जिहावानहमम्बिके पवित्रयेहंतेनैव जिह्वायांतत्सदास्तुमे // 1 // त्वत्पादोत्सृष्टगन्धस्य पुष्पस्य च सुरेश्वरि // आघ्राणाल्लेपनादम्ब त्वचंनासांपवित्रये // 2 // श्रोत्रंचरित्रश्रवणादाणी पाठजपात्तव // करौपादार्चनात्पादौ परिक्रमणतःशिवे // 3 // दृग्दर्शनाचतेमर्त्तनमनात् मस्तकं मम // निर्माल्यधारणात्तीर्थीकुवेतीर्थपदाम्बुजे // 4 // दासोऽ हमित्यहंकारं चित्तंचरणचिंतनात् // मनस्यंध्योरवस्थाने करणान्मानसमम // 5 // बुद्धितेपादपोधान्मे दंडवत्पतनाछिवे॥ अंध्योःप्रणामानिखिलं शरीरंपावयाम्यहम् // 5 // आत्मानमात्मभावाचे स्वरूपस्यपराम्बिके // कोटिसूर्यावभासस्यको. टीशीतांबुशीतलात् 6 // पवित्रयललिते ततोयास्याम्यनुत्तमं तेपदस्वान्मचिगुपे सर्वानंदमयंपरम्॥७॥ इतिश्री भक्तसर्वात्म पवित्रीकरणं स्तोत्रं समाप्तम् // श्रीप्रकाशविमर्शसामरस्य स्वरूपिणी श्रीगुरुपादुका विजयतेतराम् // ॐ / श्रीगुरुर्नाथ आचार्योदीक्षाविद्याप्रदायकः // शरणा गतवात्सल्य कारुण्यरससंयुतः // 1 ॥प्रपन्नपारिजाताङ्घि देवदेवोऽखिलर्द्धिदः // अज्ञानभास्करोऽनन्त महात्म्यगुणरूप धृक् // 2 ॥ब्रह्मविष्णुमहेशादि रूपश्रीमत्परात्मकः॥पादुका दीर्घतरणा जगजलधितारकः॥३॥ महावाक्यार्थ तत्वात्मा सेवानिजपदप्रदः // जीवकीटपरापाद पङ्कजालिकरःशिवः For Private and Personal Use Only