________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (70) 2 // चंचकांचन किंकिणी विलसित श्रोणीतटालंकृते भास्वदेवकिरीटरत्न किरणैर्नीराजितांघ्रितये // उद्यद्भास्करकोटि धामविलसत्स्वीयांगशोभाभरे त्वत्पा० // 3 // सूर्यद्वग्निविलोचने परशिवोल्लासेगुणालंकते जाव्यध्वांतरविप्रभे भजनकत् संसारपारप्रदे // दैन्यछेदिसुरद्रुमस्वचरणे ज्ञानामृतस्पंदिनी त्वत्पा० // 4 // पञ्चबूह्मरुतासन प्रभुशिव क्रीडाविलासोदये श्रीवाणीवरवीजिताङ्गलतिके भंडादिदैत्यादिनि // रुद्राणीकम लालयाकमलभूशक्त्यार्चितांघ्रिद्वये त्वत्पा० // 5 // एकानेक गुणावतारचरिताऽभिख्यभयध्वंसिनि श्रीनाथांघ्रिनतिप्रवीण करुणादृष्टेविभूतिप्रदे // भक्ताशासफलेसुभक्तहृदया वासेजगद्भासिके त्वत्पा० // 6 // सद्भक्तव्यवहारपूजनसदा सन्तुष्ट चिनेपरे आधिव्याधिजरामृति प्रदलिते षट्चक्रसंचारिणि कामाक्षित्रिपुरेजगत्रयजनोद्वारेशिवे सद्गते त्वत्पा० // 7 // श्रीवाणी धरणीधनाभिजनता प्राज्ञप्रयत्वप्रदे विद्यासद्रमणी सुवीर्यविलसद्रपप्रदे मुक्तिदे // मानागम्यपदे कृताधिकतपः स्वीयांघ्रिभक्तिप्रदे त्वत्पादांकितमम्बिकेस्तुचसदा मे मस्तकं मानसम् // 7 // दिव्यंश्रीजगदम्बिकाष्टकमिदं यःप्रेमयुक्तः पुमान् // ध्यायंञ्छ्रोपरदेवतांधिकमलं सद्भोगमोक्षप्रदम् // वांछासिद्धिकरंपठेद्यदिसदा प्रीणातितस्याम्धिका यद्यद्भक्त मनोगतं प्रकुरुते सिद्धंचतत्तछिवा // 6 // इतिश्री शैवांधूि कमलमकरंदमधूपरावराज शोभनसिंहेन कृतं सगुणनिर्गुण स्वरूपदर्शनप्रार्थनाष्टकं संपूर्णतामगमत्। शिवमस्तु / For Private and Personal Use Only