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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पदकायुगं परायाः // 3 // रत्नत्रयमिदं स्तोत्रं प्रातःप्रात: पठेन्नरः॥ मनोभिलषितंमाता दद्यादन्ते निजंपदम् // 4 // इतिश्री पादारविन्द रत्नत्रयस्तोत्र समाप्तम् // // श्रीः॥ स्रवत्सुकरुणारसो मनसितत्वसंपादक स्तवा तिकरुणार्णवे जनवरस्यभक्तस्यते // गुरुप्रियकरस्य हे जननि दृष्टिपातःशिवे मयि प्रणमति त्वयि प्रकटयैव कारुण्यतः॥ १॥हित्वा स्वकीयं जगदम्बिकेते कृष्णावतारो निजदास दासः // प्रतिश्रुतं भीष्ममहावृतस्य जुगोप यः सोवतु मां महात्मा // 2 // दुर्गेपराते रगुनाथमूर्ति ारागुरोर्वाक्षरिपालनस्य // स्वयं स्वतन्त्रापिवनंजगाम या सावताधर्मसहाय कामाम् // 3 // भूयाच्छिवायाम्बतवाद्भुतारुतिर्नृसिंहनानी खरकोपधारिणी // नखैर्हिरण्योदरदारणी त्वरा सुभक्तप्रक्षा दशिवप्रदायिनी // 4 // अवतार चरित्रम् समाप्तम् // श्रीमच्चरणशरण दायिनी विजयतेतराम् / / श्रीमचन्द्रमरीचिहासवदने प्रोत्फुल्लनेत्रदये भालादेंदुलसतृतीयनयने चंद्राभगल्लस्थले // चंपापुष्पसुनासिका धृतलसन्मुक्ताफलाभूषणे त्वत्पादांकितमम्बिकेस्तुचसदा मे मस्तकं मानसम् // 1 // श्री बिम्बाधरचुम्बिमिष्टहसिते श्रीकल्पवल्ली भुजे हस्ताब्जानधनुः शरांकुशगुणे माणिक्यकुम्भस्तने / रुद्रब्रह्मजनाईनकदशन क्रौंचारिपीतस्तने त्वत्पादांकितमं०॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020537
Book TitleParambika Stotravali
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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