________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (68) कपान सुरक्षतु // 18 // त्वचं त्वग्गामिनी रक्षेद्रक्तं रक्तनिवा सिनी // मांसं मांसगता पायान्मेदोमेदगता सती // 19 // अस्थिष्टाह्यस्थिसंघमे मज्जां मजाश्रयावतु // शुक्र रक्षतुशुक्रस्था प्राणान्प्राणगताऽवतु // 20 // मनोबुद्धिगतारक्षेन्मनोबुद्धी सदाम्बिका / चित्ताहंकृतिगारक्षे चित्ताहंकारकौमम // 21 // आत्मानं सततं रक्षेत्सदाजीवात्मरूपिणी // शरीरान्तर्बहिर्देहान्तर्बहिःष्ठासदावतु // 22 // एकरूपा सदा पूर्णा नानाकृति धरा परा // व्याप्यव्यापकरूपामां लीलया सर्वदाऽवतु 23 // इतीदं कवचं पुण्यं ज्ञानरूपं पठेन्नरः // देहरक्षां ज्ञानवृद्धि शुद्धमा प्रयच्छति // 24 // परात्परतरादेवी पुत्रवत्परिपातिसा // महाभये व्याधिभीतौ पठतां न भयंभवेत् // 25 // इतिश्री न्यासकवचात्मकं स्तोत्रम् समाप्तम् // अथ प्रातःस्मरणम् // ॐ प्रातःस्मरामि शिवविष्णुविरञ्चिवन्यं वज्रध्वजाब्ज गणिचिह्नितमम्बिकायाः // पादाङ्गुलीयमणिनूपुररम्यरावं पादारविन्दयुगलं परदेवतायाः // 1 // वाग्देवता गिरिसुता कमलामहेंद्री वकालकावलिमलिन्दसुशोभिताली // संशोभितं भुवनभासितमादिरूपं प्रातःशिवाचरणकञ्जयुगं नतोऽस्मि // 2 // संसारसिंधुतरणाय तरीस्वरूपं स्वेछानुरूपफलदंभजतां जनानाम् // उद्यत्सहस्ररविरोचिरलंप्रकाशं प्रातर्भजामि For Private and Personal Use Only