________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (54) न्दुवचनामृता ॥आकीर्णकेशाख्याताख्या नन्दसंफुल्लितानना // 41 // आधाराधेयभावाट्या चार्यभक्तकृपावती // आसवामृतपानोत्थमदपूर्णितलोचना॥ 42 // आगमापायरहिताश्रितानन्दविधायिनी ॥आम्नायसारसर्वस्वा नन्दाम्भोधिस्वरूपिणी // 43 // आधीनपतिकाधीनविश्वत्रयविलाशिनी॥ आरातिदुःखहरणा रातिदैत्यविनाशिनी // 44 // आपीनदीर्घकठिनस्तनभारनताङ्गिका // आपीनदीर्घबाह्वस्वाधरात्मा नन्ददायिनी // 45 // आविष्कृतारातिदया विष्कृतानेकचित्रका // आब्रह्मकीटपर्यन्तजगज्जननतत्परा // 46 // आसवामृतसंपूर्ण पानपात्रकराम्बुजा॥आभ्यन्तरीयान्धकारद्वादशार्क प्रकाशिनी // 47 // आशापूर्णकरायाससंलभ्याशुकृपावती॥ आज्ञासिद्धिकराज्ञप्तशिवदौत्या भवाकरा // 48 // आमलबह्मरन्ध्रान्त कोटिसूर्यसमप्रभा // इतेतरान्तसंदात्रीदक्षनेत्रे नरूपिणी ॥४६॥ईश्वरा ङ्गसंस्थाने श्वरीवामविलोचना॥ ईश्वरेशेश्वरान्तस्थेशमूर्त्यष्ठकरूपिणी // 50 // ईशिताद्यष्टसिद्धीशेलोद्धृतेऽलास्वरूपिणी // ईश्वरप्रेमट्टपातोदक्षकर्णमनोहरा // 51 // उमोवाच्योपमाहीनोपमितात्मात्मरूपिणी // उग्रप्रभोग्रताराख्या चोग्रचण्डप्रचण्डिका // 52 // उग्रसेनोच्छृङ्खलितभक्तोज्ज्वलशुभानना // उल्लसत्करुणापूर्णनेत्रकअमनोरमा // 53 // उल्लसत्करपुष्पेषुधरोदधिसुतेश्वरी // उत्तप्तकनकप्रख्योदधिबद्धस्वरूपिणी // 54 // ऊर्मिहीनोर्द्धलोकस्थोहापतर्कविवर्जिता // ऊरुस्तम्भारुरू‘लिलोकनिवासिनी // 55 // ऊर्द्धमार्गोर्द्धसञ्चारोवामकर्णोद्धभक्तिदा For Private and Personal Use Only