________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (53) ढ्याऽवर्णाश्रमसुपूजिता // 26 // अगस्त्यपूज्यपादाब्जा ऽगस्त्यविद्यास्वरूपिणी // अग्निहव्यप्रदाजादिसुरवृन्दसुपोष णा // 27 // असंख्यातजनोद्धारा ऽसंख्यपापनिपातना असंख्यचरितोपेताऽसंख्यशक्तिसमन्विता // 28 // अकलङ्ककलानाथवदनस्मितचन्द्रिका // अगुप्तगुप्तवृत्तान्ताऽन्तरीयतम नाशिनी // 26 // अजादिकसमाराध्यपदाब्जाराध्यपादुका॥ अखर्वगर्वशुम्भादिदानवान्तविधायिनी // 30 // अलभ्यलाभसंप्राप्या ऽपवर्गसुखदायिनी॥अगराजसुतामूर्तिरखिलेप्सितदायिनी॥३१॥अकृत्रिमवचोवेद्याऽकृत्रिमज्ञानरूपिणी॥अवश्यभाव्य दुःखघ्नी चान्तकान्तकराऽभला ॥३२॥अमूर्धाऽमुखवृत्ताचालस्यनेत्रसुपङ्कजा ॥आहार्यदुःखदुर्बोधाऽविष्कृतानेकविग्रहा॥३३॥आवितासंख्यसद्भक्ता समुद्रक्षितिराज्यदा॥ आलयास्याब्जमधुरास्मितरूपमरन्दिनी॥ 34 // आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तकल्पनत्राणतत्परा // आरोहितशिवारावाऽकर्णतीक्ष्णबिलोचना // 35 // श्रानन्दघनसंन्दोहाऽराध्यसेवास्वरूपदा // आराध्यसत्कृपाप्राप्यादिनाथाकाररूपिणी // 36 // आवर्णरहिताऽभासाऽभरणाभरणाङ्गिनी // आनन्दाम्बुधिनिमग्नाऽ नन्दानुभवकारिणी // 37 // आखुवाहनसत्पुत्राखुयानक्षवेलिहर्षिणी // पाखुपत्रात्मरूपाखुनाशिन्याखुगवत्सला // 38 // आगमोक्तविधानार्चा शीघ्रसिद्धिविधायिनी // आगामिदुःखनिर्माशा गन्तुकज्वरनाशिनी // 39 // आकाशयुद्धकृन्नाशा काशसंस्पर्शिमस्तका // आकाष्टाव्यापिसद्वाहुलतिका काशवासिनी // 40 // आनमद्भूमिचरणानने For Private and Personal Use Only