________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (52) नवात्सल्याऽधिकसौन्दर्यसद्गुणा // अधिकाधिकसत्कीर्ति रधिकाधिकशोभिनी ॥१२॥अधिकाधिकसंदात्री ह्यखिलान्तविहारिणी अन्तर्बहिःपूर्णरूपाऽलसदृष्टिलसन्मुखी // 13 // अकारादिक्षकारान्तमातृकाक्षररूपिणी // अक्षरक्षरविभ्राज. रूपा ऽतीतगुणप्रिया॥१४॥ अलकालिमुखाम्भोजाऽरविन्दाक्ष्यऽपिङ्कजा // अरविन्दकराम्भोजाऽरविन्दाक्षसुपूजिता // 15 // अवदातगुणोदाराऽवदातमणिभूषणा अवश्यभक्तोद्धरणाऽवश्यभक्तसुखप्रदा // 16 // अवश्यभक्तवरदाऽवश्यभक्तजयप्रदा // अनिमित्ताऽविनाभावसंयोगाऽसङ्गसंस्थितिः // 17 // अनुभूतिस्वरूपाम्बाऽवनिपालस्वरूपिणी // अवनी वल्लभाऽवश्या ऽवश्यभाव्यविभाविनी // 18 // अनन्यमानसाराध्याऽनन्यज्ञानविधायिनी // अनन्याधारगाऽनन्यदर्शना ऽनन्यभाषिणी // 16 // अनवद्यलसद्रूपा चानवद्यगुणाकरा॥ अनवद्यसुधापूर्णाऽनवद्यानन्ददायिनी // 20 // अमाना मानज्ञानाढ्याऽरुणचैलवरागिणी // अवन्त्यनलसाऽवन्तीपुरीपीठकृतालया // 21 // अहोरात्रीजागरूका निमेषा ऽनल्पराज्यदा // अविचारविचाराढ्याऽभिचारभयनाशिनी // 22 // अश्वारोहविलासाढ्याऽश्वग्रीवस्तुतपादुका // अश्वारूढाऽभिवन्याधिरश्विनीवैद्यवन्दिता // 23 ॥अजन्माऽजातपुंस्पर्शा ऽखिलसाराऽखिलर्द्धिदा॥अर्हािपाङ्गसम्पाताऽभिषिक्तवरसाधका // 24 // अप्रमाणयशोधामा ऽधर्मपृष्टाङ्गधारिणी // अविद्यारजनीसूर्याऽभ्यासाधिकविभासिनी // 25 // अकाण्ड काण्डसद्भावा ऽकिश्चना ऽकिञ्चनप्रिया // अवितळविलासा For Private and Personal Use Only