________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatit.org www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (51) उश्रीगुरुपादुकाभ्योनमः // उश्रीगणेशायनमः॥ उँ श्रीमतीसकलान्तर्यामिणी विजयतेतराम् // उँ // श्रखण्डानन्दचिन्मात्रा खण्डचन्द्रवरानना ॥अख. ण्डगुणशोभाढ्या खण्डचन्द्रवरासना // // 1 // अखण्डैश्वर्यसंयुक्ताऽखण्डचक्रनिवासिनी // // अखण्डपति सौभाग्याऽखण्डज्ञानविलासिनी // 2 अखण्डविलसद्पा खण्ड राज्यसुखप्रदा // अखण्डवरदाऽखण्डभोगमोक्षवरप्रदा // 3 // अखण्डभक्तिरसदाऽखण्डप्रेमकृपानिधिः // अखण्डरसरूपा ढ्याऽखण्डसौन्दर्यशालिनी॥४॥अखण्डसुखशोभाढ्याऽभीष्टसौख्यविधायिनी॥ अनन्ता 5 नन्तविजयाऽतुल्याऽतुल्यगुणान्विता // 5 // अर्केन्दग्निसहस्राभाऽलक्ष्याऽलंकारशोभिता // अनर्घ्यमणिमञ्जीरा ऽसंख्यशत्यधिनायिका॥६॥असंख्या तसमुद्धाराऽसंख्यरूपावतारिणी ॥असंख्यदुःखनिर्माशा चार्बु दाचलवासिनी // 7 // अनेनचित्तगाऽचिन्त्य महिमाऽचपलप्रिया // अलौकिकातिसुभग स्वरूपाद्वयरूपिणी // 8 // अहन्ताममताहन्त्री ह्यखण्डाऽहंस्वरूपिणी // अलिप्तद्वैतमालिन्याऽद्वितीयाकारकारिणी // 9 // अछेद्याभेदसुखदानिवद्याऽखिलरूपिणी // अल्पकालेष्ठदाऽनल्पधनधान्यसुखप्रदा // 10 // अत्यन्तपुण्यसंप्राप्तपादभक्तिरहोगुणा // अहोरूपाऽहोचरित्राऽहोबलाऽहोप्रभावती // 11 // अहोस्वज For Private and Personal Use Only