________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शो न हि कपाकरा त्वमेकाम्बिके रक्ष क्षमस्व में॥ // इतिश्री क्षमाकरारत्नत्रयंस्तोत्रं समाप्तम् // श्रीः॥ नमत्सुरेन्द्रनायिकालिकावलिहिरोफिकावलिप्रपूजितं मुदा मुनीन्द्रमानसालयम् मृदुप्रमोद्यलौकिकं पदाब्जमम्बिकेतव प्रणौमिविश्वतारकं सदा भयापहारकम् // 1 // विरंचिवाहनाङ्गनाप्रयाणशिक्षणेचणम् / / नखेन्दुकौमुदी स्फुरविभूतिशङ्करं वरम् // तवांघ्रिमीश्वरिप्रभाकरसदा विलोकदम् भवांधकारहारकं सतांमनोजमोदकम् // 2 // दरारिपङ्क. जाश्रयं श्रियोनिधानमन्वहं धनछवि जगत्रयप्रपोषकं गुणाकरम् // तवांधिमम्बिके सदा प्रणौमि विश्वरूपिणम् विपत्र. मानदायकं सुरासुरैर्नस्कृतम् // 3 // पदाब्जधूलिनिर्मले गु. रोजनस्य मानसे सुदर्पणे शिवे स्वरूपमम्बिकेफलत्यदः // निसर्गसुन्दराकृति त्वदीच्या सुभास्वरं ह्यनेकजन्मसाधितान्यदेवपूजनस्य ते // 4 // कराञ्चितप्रफुल्लपुष्पशायकं धनुर्धरंरुपाकदम्बवीक्षणैर्मनोहरैर्विलोक्यमाम् // हृदि स्वरूपमम्बिके शिवाख्यमुज्ज्वलं कुरु क्षणं फलन्मनोरथं निधायमस्त के पदम् // 5 // शिशुशशाङ्ककिरीटसमुज्ज्वला शरदिपार्वणचन्द्रसमानना // हिमकरातपहासमनोहरा स्फुरतुसाहदिमेपरदेवता // 6 // विश्ववने मेभूमतश्चेतःपुरुषस्य पावनंचरणम् // शरणं भवतु भवान्याः संविद्रमणीसुखंयत्र // 7 // श्रीमत्पदाब्जमम्बाया ध्यात्वापादाब्जसंस्तुतिम् // पठते हि नरोभक्त्या सर्वसौख्यमवाप्नुयात् // 8 // इति श्रीपादारविन्दस्तुतिः समाप्ता॥ For Private and Personal Use Only