________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 47) त्या अवापुः पदन्ते ह्यवन्त्याः पदाब्जप्रपन्नान् // 3 // इतिश्रीरत्नत्रयंस्तोत्रम् // ॐअजातपुंस्पर्शरति कुमारिणी कन्यां सदाविश्वमनोविहारिणीम् // ब्रह्मेन्द्रविष्णवीशनतांत्रिकामहं नतोऽस्मि दुर्गा मनसेप्सितार्थदाम् // 1 // पूर्णशून्यस्वरूपत्वात् पुरुषत्वाल्लिङ्गमस्तका // शक्तिस्वरूपभूतत्वात्मस्तके योनिधारणी // 2 // ज्ञानप्रकाशरूपत्वादुद्यत्सूर्यसमप्रभा // सर्वेषां स्वात्मरूपत्वात् प्रेष्टत्वादरुणप्रभा // 3 // आद्यत्वा त्सर्वशो. भात्वादाद्यलक्ष्मीरितीरिता // पायान्मां सर्वदारिद्राच्छिवशक्तिस्वरूपिणी // 4 // ब्रह्मविष्ण्वीशजननी काली लक्ष्मीः सरस्वती // अम्बिका जगदम्बासा पायान्मां सर्वतोभयात् // 5 // सैव काली सैव लक्ष्मीः सैववाणी पराम्बिका // ब्र. ह्मविष्णुशिवाः सैव सैव मां सर्वतोऽवतु // 6 // स्थीयते च जगद्यस्यां सृष्टिस्थित्यन्तकारिणी // या ब्रह्मचिद्घनाकारा भासते वस्तुरूपिणी // 7 // अवियोगससंयोगा ब्रह्मणः पर मात्मनः // शक्तिस्वरूपस्फुरणा तद्रूपा जगदारिमका // 8 // सर्वनामा सर्वरूपा देशिकेन्द्रकृपावताम् ॥आत्मभूताराध्यरूपा मंत्रयंत्रस्वरूपिणी // 6 // अनेकजन्मतपसः फलरूपपदाम्बुजौ॥ प्राप्येते कृतिभिर्यस्याः सानुगृह्णातु मां सदा // 10 // काली तस्यास्तमोरूपा रुद्रवाणी विधायिनी // करालापि दयारूपा कान्तिसौभाग्यधारिणी // 11 // शत्रुसंहरणे क्रोधं काल रात्री विधीयताम // महामाया योगनिद्रा मम रतां For Private and Personal Use Only