________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (45) ॐ श्री उद्यत्सहस्ररविधाम समानकान्ति मन्दस्मितेक्षण युतांकुचभारशोभा पाशांकुशैक्षवाराशन वाणहस्तां ध्याये सदा परशिवाङ्कगतां पराम्बाम् // 1 // कामेश्वराङ्कमणिगेह निवासशीला तुल्यस्वरूपगुणवेषवयोभिराम कामेशवाहु परिरम्भणमोदपूर्णी ध्याये मुखेन्दुविलसस्मित चन्द्रिकान्ताम् / 2 // कारुण्यपूर्णनयनां स्मितवक्रशोभातुछीकता मृतकलानिधिपूर्णलक्ष्मीम् // भक्तेप्सितार्थपरिपूर्णधृतस्वरूपां लालित्यचित्र गुणरूपधरां भजेऽहम् // 3 // इलोकत्रयं पठति यः परदेवतायाः श्लोकार्थमानसविवृद्धसुभक्तिपूर्णः // संयाति सौख्य मखिलं भवपाशमुक्तो निर्वाणनामकपदं लभते मनुष्यः // इतिश्रीमन्महात्रिपुरसुन्दरी त्रिरत्नस्तोत्रं समाप्तम् // श्रीगणेशाय नमः // नन्दा नन्दत मांनाना स्वकीयेन सनातनी / रक्तदन्ती स्वरागण मनोमेरज्यतां शिवा // 1 // शाकम्भरी स्वरुपयासुधारूपानपानकैः // नित्यं पुष्णातु मां देवी स्वकीय ध्यान हेतवे // 2 // दुर्गादुर्गमसंसार शत्रुभीति विनाशिनी भूयात् सा वरदा मां सती मे चित्तगा सदा // 3 // शताक्षी शरणापन्नं शतनेत्रै विलोक्यमाम् / संसारज्वरनाशाय दद्यात्से. वारसामृतम् // 4 // यद्याद्वाति पवनो यद्यात्तपते रविः / पातु मां सर्वभयतः सा भीमा भीमशासना // 5 // निजभूत्यमनोभग करे कृत्वा रुपावती / कन्जे नि तिमधुनि भ्रामरी हरतु भ्रमम् // 6 // अपूर्वा षट्पदी देव्या भक्तकाम For Private and Personal Use Only