________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (42) रिरंसुः स्वयमपि चरमन्देवदेव्या भवान्या देव्यैक्यं संगतोयोऽखिलगुरुरवतु श्रीमहेशः कृपालुः // 4 // चन्द्राननाचन्द्रसमानवर्णा चन्द्राभभूषाम्बरमादधाना // लालित्यचित्रस्तवनप्रसन्ना वाणी प्रदेयादमला गिरोमे // 5 // घनश्यामला दोभिरम्बा चतुर्भिः दरं सेषुचापं च चक्रं वहन्ती // ललाटार्द्धचन्द्रा त्रिनेत्रा हरिस्था निजानन्दिनी स्वामिनी मे सदाऽव्यात् // 6 // सेवायां स्थिता सिंहवाहिनी मूर्ति स्तस्याध्यानम् // चक्रं श्रुलं कराब्जैः कनकमणिमयं सर्वकामप्रपूर्ण पात्रं खड़े दधाना प्रणतजनमनोऽभीष्टदानेकदक्षा। दुर्गा स्मेराम्बुजास्या हरिविधिगिरिजा नाथसंसेव्यपादा॥सिंहासीना भवानी मम हरतु भयं द्राग्दयादृष्टिपातैः // 7 // अजातपुंस्पर्शरतिं कुमारिणीं कन्यां सदा विश्वमनोविहारिणीम् // ब्रह्मेन्द्रविष्णवीशनताधिकामहं नतोऽस्मि दुर्गामखिलार्थदायिनीम् // 8 // नतोऽस्मि नवयौवनां धनसमानकान्ति शिवां मतङ्गकुलमण्डिनी प्रचुरपुण्यचित्ते भवाम् // सुरामुदितमानसां सकलकामसंदोहिनी विनम्रवरदायिनी त्रिभुवनेश्वरीमत्रिणीम् // 6 इतिश्री गुर्वादिनामरूपधारिणी स्तोत्रं समाप्तम् // हरत्यन्तरायं यतो विघ्नहर्ता शिवे ते पदं भास्करो भास्करत्वात् / श्रियःसंनिवासाद्धरिः शङ्करत्वाछिवः पञ्च देवात्मकं सन्नतोऽस्मि // 1 // कृपा तव तरंगिणी। विमल भावपाथो निधे स्त्वरा भवतु संगिनी विषयिकस्य मे सर्वदा॥ समस्त भुवनेश्वरि त्रिविधतापविध्वंसिनी। प्रमोदपददायिनी। जनमलापसंहारिणी // 2 // अज्ञाजना For Private and Personal Use Only