________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (37) वासशीला शिवाऽस्तु मे बाला॥ 42 // त्रिभुवन जनप्रतिपाला सद्यः संत्रोटिताऽहिताजाला / वरदायिन्यस्तु वाला चन्द्र मुखी हंससंचाला // 43 // ललिते लीलालसिते वसिते सन्मानसे मणिद्वीपे / असितेक्षणे कृपातो वसहृदयेमन्दहसि तेमे // 44 // दमनी दुष्टजनानांशमनी संसार मोहतापानाम्॥ जननी काजेशानां क्षमनी भक्तापराधानाम् // 45 // यस्या येन हृतं वा यस्य ययांगं हि संप्रेम्णा सा सोवतु मामर्द्ध कस्याः केन च कया कस्य // 46 // दुष्कृतनिदाघभानो प्रतपति यस्मिन् क्षणे झटिति / सुखयति मां हि महेश्वरि तव स्मृतिर्दाक्षिणः पवनः // 47 // दुष्कृतनिदाघरवि णा प्रतापितं चास्वभावगतम् // सुखयतु हिमगिरिकन्ये तव स्मृतिमलयजः पवनः॥४८॥ उजसि कस्मिंश्चिदपि ब्रह्मादितृणान्तविधाननिपुणे हि / लग्नं मनोनिरंतरमग्निशिखा वर्णवर्णे मे // 46 // वितरदयावतिदृष्टिं तेनस्यामद्वयी लोके // मय्यधमेऽल्पमनीषे त्वत्पदशरणागते कृपया // 50 // त्रिपुराचरणं शरणं यस्य नमरणं जनिर्भवति / तस्य हि स च ज्ञानामृतभोक्ताभोक्तापि विषयाणाम् // 51 // विश्वविलक्ष. णरक्षणचरणसरोजौ सतां सदा ध्येयो। स्थेयौ हृदि मे स्यातां श्रीमातुस्त्रिपुरसुन्दयोः // 52 // चरणं कमलं मन्ये लक्ष्मीरुत्यद्यते हि यतः // अथवेष्टवानदचं कल्पतरं चरणमम्बायाः / / 53 // विधिलिखितं दुर्वर्णं भालस्थं मेऽयविलुं. पामि / अम्बाचरणसरोज द्वयमधुनासह परागेण // 54 // परमामृतमयचरणं ह्यकरणकरणं मदीयशरणं तत् / भूयादे. For Private and Personal Use Only