________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (33) नुसवर्णाङ्गी पूर्णाहन्तांप्रणोमि ताम् // 1 // भूतेऽभूद्वर्त्तमानेऽस्ति भविष्ये च भविष्यात // अखण्डोल्लसनां साक्षात् . पू.॥ 2 // ब्रह्मादिस्तम्बपर्यन्त स्वरूपणावभासिनीम् // चिद्विलाससमुल्लासां पू ॥३॥शिवादिक्षितिपर्यन्त षटाशत्तत्वविग्रहाम् // तत्वातीतांशान्त्यतीताम् पू० // 4 // कत्त्री भोक्री तथा कीमभोक्री विश्वचिन्मयींम् // एका मनन्यरूपाम्बाम् पू 0 // 5 // विन्दुनादकलातीतां स्वाश्रयां स्वप्रकाशिनीम् // पूर्णकामांपरांकाष्टां पू * // 6 // स्वमाधुर्य रसोल्लासतुलीकृतसुधापृथांम् // प्रेष्टां प्रेष्टतरादाद्यां पू०॥७॥ स्वात्मज्ञां स्वानुभावज्ञां सर्वज्ञां भक्तचित्तगाम् // सर्वगामम. लामिष्टां पू 0 // 8 // पूर्णाहन्ताष्टकमिदं पूर्णाहन्ताप्रसादतः॥ पूर्णाहन्तां पठन् ध्यायन् पूर्णाहन्तामवाप्नुयात् // 6 // इति श्रीपूर्णाहन्ताष्टकंसम्पूर्णम् // श्रीवाग्वैभवविधायिनी विजयतेतराम् // ॐ नेत्रेशिशिरीकुरुते हृद्तकजविकाशयते // अमृतमयं भानुमयं भास्वास्त्वन्मुखमहोचन्द्रः // 1 // वितयतिधिषणा सिंधुं विश्वसमुद्रंविशोषयति / भास्करउतमुखमिदुहृदयेखेमातरुदयकारि // 2 // विशदयतिसतांमनांसि क्षपयत्यज्ञानशर्वरीसूर्यः // मातस्तमुखमिन्दुःकुर्वन्मोदं सदास्विदास्तेहि // 3 // भजतेऽनृजवे वासः शिरसिचगिरिजे त्वयादत्तः॥ चंद्रश्चाभजमानः सोपित्यक्तःसुवृत्तसंपन्नः // 4 // चरणंशर For Private and Personal Use Only