________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (32) स्तथा तेऽघिमीहते / कुरुकृपांशिवे पूरथाशुमे मम मनोरथं तेऽस्तुमे नमः // 12 // दनुजनिजिनिजरः स्मृता झटिति दानवान् हंसि लीलया // स्वजनपालिका स्वं समाऽपिहि पदमखण्डितं रासि तानपि // 13 // तव शिवे कृपालोकिताजनाः करधनाभवत्येवसद्गुणैः / ग्रथितबुद्धयोलोकरञ्जना श्चरणमानसास्त्वां भजन्त्यपि // 14 // गुणनिबन्धनैर्नामरत्नकै प्रथितकण्ठलः सद्गुणः सभाम् / मतिमतामलं भूषयत्य हो डुगणाङ्गणं चन्द्रमा यथा॥१५॥ परमरम्यकैस्तेम्बिकेगुणैयथितमानसोमुक्तिमेत्यहो // तव गुणार्णवे मग्नमानसस्तरति ना जगत्सागरं तु सः॥ 16 // स्मितयुतं मुखं शङ्कते हि किं रूचिकरंशिव पार्वणः शशी // इति यतोजनोध्याय, तोमुदा हिमयते मनस्तापहारकम् // 17 // दिवसहीनतां कालिमामपि रजनिनायकोनोमजेद्यदा // सुकृतशात्रवं भाव मीश्वरि तव मुखेन सः साम्यतामीयात् // 18 // तव मुखेन ते साम्यमम्बिके भजतु श्रीमुखं नैवचन्द्रमाः // दिनविलास कृन्निष्कलङ्कितं रजनिभास्करं धर्मरक्षकम् // 16 // जठररक्षितः पालितस्त्वया जननि जन्मतोऽद्यावधिः प्रभो // अव तथैवमामग्रतोऽपि हि करुणया जनं तेविसंगतम् // 20 // तावकेन जगदम्बभुज्यते सेवकेन सुखमक्षयं हि तत् // नैव लेखपतिनेशमानिना सार्वभौमपदवीस्थितेन च // 21 // इति श्री आनन्दगीतं समाप्तम् // उँ स्वर्णपाशाङ्कुशामिक्षुधनुः पुष्पशिलीमुखाम् // उद्यद्भा For Private and Personal Use Only