________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 30 ) यान्तुघस्राः // 11 // इतिश्रीगुरुरूपिण्याः पञ्चदेवात्मकचरणा रविन्दायाः रूपानुभावापराधक्षमापन भक्तरक्षाविधायक सर्वे ष्टप्रदचरणारविन्दप्राप्तिफलदायकनामस्मरणप्राथर्ना स्तोत्रं संपूर्णम् // मन्दस्मितमहिमा // ॐ / मन्दस्मितेन करुणारसपरितेन श्रीमन्मखेन्दुजनिते. न जगन्निवासे / गांगेयवारिविमलेन मदीयतापं पापोत्थमम्ब परिणाशयतावकेन // 1 // आरक्ताऽधरमाश्रितापिजननि त्वन्मन्दहासप्रभा स्वाभाव्याद्भजतांसदासुक्रतिना मुच्चैर्ददाना गतिम् // चेतांस्युज्ज्वलयन्त्यहोवतशरत्पूर्णेदुशोभांपरां // कल्माषीकुरुतेतरामितिमयाऽयुक्तंचयुक्तंमतम् // 2 // मुक्ताहार कलानिधानरुचिरा स्त्वन्मन्दहासप्रभाः भूयासुर्भवतापपापं शमनाःकामाक्षिमेभूतये / शोभा श्रीमखपंकजस्यसहजा लं. कारभूताःपरा नैजोत्कर्षतया सदासुरणदी सौभाग्यजैत्र्यस्त्व रा // 3 // स्वभावेनसदारम्योमुखचन्द्रस्तवाम्बिके तदाकिम तवक्ष्येहं स्मितचन्द्रिकयाऽन्वितः // 4 // ममत्वहीना निरहं कृताये स्वानन्दपूर्णानिजलाभतुष्टाः जगत्स्वरूपंपरिपश्यमाना विद्याविदस्तत्वविदोजनास्ते // 5 // इतिश्री नर्मल्यकरी मन्दस्मितचन्द्रिकास्ततिः समाप्ता॥ श्रीमती स्वचरणपङ्कजं मे शिरसिरूपयाविदधातुतराम् // For Private and Personal Use Only