________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 27 ) श्रीमतीनिजरूपानिजस्मतिदायिनी विजयतेतराम् // मातः शिवे सकललोकनिवासभूमे शंभोः परात्परतरस्य मनोविहारे ॥भक्तानुकंपिनि कलानिधिशखरे मे ह्यते स्मृति. र्भवतु ते पदपङ्कजस्य // 1 // कल्पानुजीविनिजभक्त मृकण्डसनुगीतप्रभावबहुलश्रवणे रतानाम् // काम प्रपूरिणि नृणां शिवकामधेनो ह्यन्ते स्मृतिर्भवतु ते पदपङ्कजस्य // 2 श्रीचिद्धने गुरुतमे गिरिराजबोधसन्मानदानकुशले निजलाभपणे // आनन्ददायिनि दयादलिताउघराशेह्यन्तेस्मृतिभवतु ते पदपङ्कजस्य // 3 // लीलाहताऽखिलसुरेन्द्रमहारिन्देलीलेछया कृतसमस्तजगद्विधाने // भक्तप्रसादपर तंत्रतमात्ममूर्ते ह्यन्तस्मृति भवतु ते पदपङ्कजस्य // 4 // श्रीमत्सुधाब्धिविलसदगृह राजनाथे कोटीन्दुसूर्यसमशोभितदेहकान्ते // पाशाङ्कशैक्षवशरासनबाणहस्तेह्यन्ते स्मृतिर्भवतु ते पदपङ्कजस्य // 5 // भक्तातिहन्त्रि भवरोगविनाशकत्रि ज्ञानप्रकाशमाय मालिनि मंत्रमूले कामेश्वरि त्रिदशनायकनायकेशि घन्ते स्मृतिर्भवतु ते पदपङ्कजस्य // 6 // स्मेरानने स्मरजये जगतां निदाने शीतांशसुन्दरमुखि स्मरशम्भुरूपे // पातालमूलचरणेऽव्ययशीर्षरूपे ह्यन्तस्मृतिभवतु ते पदपङ्कजस्य // 7 // वैश्वानरेन्दुरविलोचनिविश्वरूपे बलप्रपंचमयि तारिणि ताररूपे // साम्राज्यमुक्तिमयि मंगलमंगले मे ह्यन्ते स्मृतिभवतु ते पदपङ्कजस्य // 8 // क्षिप्रप्रसादिनि वरासनि सौम्यरूपे सारंगरागसुखदे शरणाथदात्रि // गंगाधराचितपददयि विष्णज्ये मन्ते स्मृतिभ For Private and Personal Use Only