________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 26 ) श्वशिष्ये गरुस्त्वम् // काचिंतामेस्मरणसुखदेचैहिकीपारलोकी चिंतारत्नेनिजकरकते चिंतनंकिंधनस्य // 3 // रत्नत्रयमिदं स्त्रोत्रं पठेद्तयैकमानसः / ध्यात्वाम्बांकपणस्तस्या स्स्तोत्रोतष्टमवाप्नुयात् // 4 // इतिश्रीरत्नत्रयस्तोत्रं समाप्तम् // श्रीमतीदयाहृदयाविजयतेतराम् // नत्वापरात्परतरेपदपङ्कजंते याचेमनोरथशताधिकमेकमेव // प्राणप्रयाणसमयभमचित्तवृत्तिः पादाब्जयोश्चनितरां स्थिरतांविधत्ताम् // 1 // नत्वाम्बिकाचरणकल्पतरू सदाहं छायाभरणजनतापहरौशरण्यौ // प्रेमोरुमिष्ठरसमक्तिफलाय याचे संसारतापपरितप्ततनुःसुखार्थी // 2 // जगत्समुद्रेपरि मज्जतःपरे नौकाद्भुताविश्वसमुद्रतारिणी // कामादिनक्रादिभयापहारिणी प्रतिक्षणंमेस्मृतिरस्तुतावकी // 3 // शिवाय विघ्नौघविनाशकारिणी भक्तस्यतेज्ञानतमोपहारिणी // कुबुद्विमार्गेपतितांसुयष्टिका प्रति० // 4 // विश्वाटवीखिन्नपद प्रदायनि दैन्यछिदेकल्पलतासुखावहा // गंगासमानामलनाशकारिणी प्रति० // 5 // यामीयताऽभयकारिणीया सा युज्यमुक्तयेकनिमित्तभूता // परामृतासारसुखैककी भूयात् स्मृतिस्तेपदकायोर्मे // 6 // अनेकजन्मार्जितपुण्यसंचयैर्लभ्यारूपातेजगदम्बसत्फला // तयामनःसंस्मरणावलम्बिमे प्रतिक्षणंस्याचरणारविंदयोः // 7 // श्रीचरणस्मृतिदायकसतकमेतत्पराम्बायाः // प्रेमीपदपङ्कजयो रलिर्नरःस्वेष्टमाप्नो ति // 8 // इतिश्रीलदान्तकालेचस्मृतिदायकस्तोत्रं समाप्तम् For Private and Personal Use Only