________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 21 ) स्यं पात्रधरंतत्कदाद्रक्ष्ये // 50 // रूपंतवातिवल्लभमस्मदुपा. स्यंसाकुमार्यम् // पुस्तकमालाभयवरधारि कदाहंसदाद्रक्ष्ये // 59 // अतिवल्लभातिवल्लभरूपं शृणिपाशचापकरम् // द्रक्ष्ये कदासदाहंकारुण्यं सौकमार्यतारुण्यम् // 60 // त्रिभुवन मगिगृहधामां निरवधिकश्वर्यरूपगुणानामाम् // 61 // तां सुरक्षारामां कांचनवामाकदाद्रक्ष्ये // 61 विषयैषिणांच विषयं त्रिपुरेहृदयेसदावसति // तद्वत्तेपदयुगलं हृदयेमेनुदिनं कदानिवत्स्यति // 62 // सच्चिद्रूपमनंतं चैकमखंडेहि ज्ञा निनांभाति // यत्पादार्चनतोया तामंबांत्वांकदाद्रक्ष्ये 63 // विष्णुर्लक्ष्मीरस्तिहि याब्रह्माचैवसावित्री // रुद्रोरुद्राणीतां सुरमणशीलां कदाद्रक्ष्ये // 34 // सौंदर्यमकरंदवदनांभोज स्ययस्यास्ताम् // मायंतिनयन,गाः पीत्वाशंभो कदाद्रक्ष्ये // 65 // पीत्वापिनैतितृप्तिं मदनारेनेत्र गाली // वदनाम्बुजस्ययस्यामधुसौंदर्य कदाद्रक्ष्ये // 66 // अनुपमशीतलसुभगछाये पादाम्बुजेशीर्षे // यस्याःसुरुतेकिमपिहि सुखमातुलि. कंकदैतितांद्रक्ष्ये // 67 // यस्यागंतरात्रौ संविन्नारीसुख प्रदाभवति // तरुणविरागिनरस्यहि भवनौचरणांकदाद्रक्ष्ये // 68 // सफलनयनंजनुरपि सुरुतं सफलंहिममभाग्यम् // अभिषेचनिकरूपं दृष्ट्वांबाया कदाकुर्वे // 69 // यस्यांमनोनु बद्धं ब्रह्मोपेन्द्रादिकान्देवान् // हित्वाममपदयुगले त्वामखिले श्यम्बकदाद्रक्ष्ये // 70 // पुरतःकदानुकुर्वे योगीश्वरलभ्यमविशेषम् // नीचस्तकृपयाहं निरवधिकैश्वर्ययावस्तु // 72 // सच्चिन्मात्रमनन्यं विश्वाधारंसमस्तविश्वमयम् // निर्गुणमम्ब For Private and Personal Use Only