________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 20 ) लुप्तानंद स्वरूपसंभूतम् // साक्षात्शक्तिसुरूपा शिवसुखदां तां कदा द्रक्ष्ये // 45 // परमामृतस्वरूपां समये संसेवितां शुध्या॥ वृत्यानंदभुवं तां स्वात्मनि नित्यं कदा कुर्वे // 16 // श्रीमत्पादतलादिहि मुखचंद्रांतं सदाभजताम् // पुंसां स्वरूपमतुलं यास्त्याविस्तां कदा द्रक्ष्ये // 17 // धत्ते वदने शशिनः सौमाग्यं शंभुसद्भाग्यम् // चातुर्य भौध कुचयोर्यत्तत्कदा द्रक्ष्ये // 48 // कुचयोः क्षीरनिधित्वं करकंजेषु च निलिंपविटपित्वम् // येन धृतं तद्रूपं नाथरूपातः कदा द्रक्ष्ये // 49 // मन्ये यत्तद्रूपं हृदि विन्यस्तं शिवेतिसौंदर्यम् विस्मारयति हि विश्वं मादकमीशे कदा द्रक्ष्ये // 50 / / दीनं दयादृष्ट्या स्वाभाविकया विलोक्य निजभृत्यम् // कल्याणाय जनस्यहि कुर्वतीत्वां कदा द्रक्ष्ये // 51 // अंधेतमासामणि पूर्णेचंद्रप्रफुलितं कमलम् // तस्मिन्नम्यं रावं विरचतियातांकदाद्रक्ष्ये // 52 // सूर्यस्तमसिशशांकस्तस्मिन्नुच्चलितमीनयुगलं या // तत्ररसंतेनैवहि स्थाj फुल्लयतिदृश्यास्यात् // 53 // विश्वजयोमदनोसौविजतःप्रभुणाशिवनयेनचसः // भ्रूभंगेणहिविजितो ययाकयाचित् कदा द्रक्ष्ये // 54 // यदनुग्रहरससिक्ता फलतिमदीयेहितालतिका तन्माहेश्वरभाग्यं संवीक्ष्याहंनुकदा तृप्तःस्याम् // 55 // यामाश्रित्यहिष्णो रंतुषाण्णमासिकी रात्रीम् // शुक्लांचकारतां स्वामघटनघटनांकदाद्रक्ष्ये // 56 // नृपतिकुद्धेर्दस्युत्रस्तैः दावाग्निसंवीतैः॥ रक्षतिरोगग्रस्तः स्मृतासतीतांकदाद्रक्ष्ये 57 रूपांतरत्वदीयं सिंहगतंखङ्गचक्रशूलधरम् // प्राथमिकंमदुपा For Private and Personal Use Only