________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 15 ) रिमातः // अन्तर्यजनंस्वात्मीकरणम् जानेतेपदपंकजशरणम् // 9 // पीठार्चनं देवियथाविधान नावाहनतेजगदम्बमुद्रा // संदर्शनंषोड़शधोपचारान कुर्वे सदा ते शरणांगतोऽस्मि // 10 // आवृतिपूजां नाहं कुर्वेतेपञ्चपञ्चिकापूजाम् // आम्नायानांपू जा मुम्निायस्य केवलं शरणम् // 11 // उत्तरपूजांबहुलां नोकर्वे होमबलिदाने // नवदीपैरारार्तिकमीशे रण हिमेशरणम् // 12 ॥मातस्तेवैपादयोः पुष्पवर्षा पूजांत तेराजसानौ पचारान् // श्रीमच्छक्तेः पूजनचेष्टते कुर्वेनोमेकेवलं त्वं शरण्या // 13 // श्रीमद्गुरूणां परिपूजनं च पुष्पाञ्जलिंतर्पणमे वमम्घ // कर्वेतथानोजगदम्बिकेते पादारबिन्दशरणंगतोऽस्मि // 14 // पूजान्ते ते मूलमन्त्रस्य जापं वर्मस्तोत्रं नामसाह स्त्रच // नानास्तोत्रप्रसादैकहे नुम् कुर्वनो मे केवलं त्वं शरण्या // 15 // प्रदक्षिणान्तेपदयोनमस्कृति साष्ठाङ्गरूपां बहु धामहेश्वरि // क्षमापनं चैव पुनःपुनर्नाहकरोमिमातः शरणंग तोऽस्म्यहम् // 16 // स्वान्तमं शाक्तिकैःसाकमम्ब प्रौढो लासंसर्वकर्मापणते // स्वात्मोडासंतेज सस्तेशरण्ये श्रीमातंगी पूजनं न क्षमस्व // 17 // श्रीभैरवस्यैव बलि चशान्ति हत् स्तबंपटन्साधकप्रोक्षणंचते // करोमिनाहंपरमात्मरूपिणि यथातथा ते शरणंगतास्म्यहम् // 18 // विलोकनं स्वस्यदशा विशेषं यथाविधानं विनियोजनंच // पात्रस्य पूर्णाहुतिमम्ब नित्यं कुर्वेनमातः शरणंगतोऽस्मि // 19 // त्रिदेवरूपस्य तु भास्करस्य ह्यय॑नकुर्वेखिलपूजनान्ते // त्वदीयनाम्नैवचसर्वपूजा कृतिप्रपूर्णी विदधेशरण्ये // २०॥प्राणायामंविधिनानो For Private and Personal Use Only