________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (6) रूपमिदं वपुः दीर्घायुभवता देव इति याचे पराम्बिकाम् // 16 // ॥समस्या // सुवर्णसिंहेन हरार्चनान्ते पुष्पांजलिः कीटयुतः कृतस्तत् पुष्पं विहायामृत पानलुब्धा पिपीलीका चुम्बति चन्द्र बि. म्बम् // 17 // वालमुकुन्द शर्म कृतश्लोकाः // श्रीमन्स्वर्ण मृगेन्द्रतेऽति विशदा मानोन्नतिं कुर्वते याः सर्वत्र सुकीर्तयः स्तुतिपरा नृत्यन्तु यद्भूतले // इत्थंबालमुकु न्दसुज्ञसुमना याचे सदाशंचते ब्रह्माण्डोदरमम्बुजासन पुनयतेन विस्तारय // 1 // मनीषिणां महानेको मानादान कृपानिधिः // हेमसिंहइति ख्यातो नाम्ना गुणगणैर्भुवि 2 // श्रीमति वरदारम्भे कृपाकरे सुदुःख हरे परेशि रक्षस्वर्णमृ. गेन्द्र कृपया युक्तात्वमेव सुखदात्री // 3 // मया कारीन्द्रा दीन्प्रतिकनकमोदस्त्वयिविभोऽधिकोद्याकृत्यातुप्रतिदिनमना यन्तसुकभाक् // महा योगीन्द्राणां झटिति हृदयाह्लाद करणी सुखाधिनाकार्तिस्तव सुखमवैत्वेवगुरुताम् // 4 // अवर्णनीयंभवता कृतं पुरा नौवर्णनीयं तवमेयशोऽमलं // तथापि त्वद्वाग्परि सेवनात्सदा सुवर्णनीयंच सुखप्रदं सदा // 5 // तृणायन्ते भूपाः सुकृतिहृदयाल्हाद कृतिमः सर स्वत्या लोके भवति रतिकीर्ति स्तव सदा // सुवर्णत्वं धन्या कृति विशदरूपीच सततं बरीवर्तात् मेघः शुभंगुणगणानां For Private and Personal Use Only