________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धारनी को चरित्र स्मराम्यहं // पंचमुख चारमुख रटत सहस्रमुख नामजाको ताकोही निरंतर जपा म्यहं / भक्त भीरभंजनी सुरंजनी कृपाब्धि मध्य मंजनी निरंजनीके चरननमाम्यहं // 15 // सारद संपूर्णससी सोहनो वदनजाको शशी रंग अंग सो है #भूषन बसनहै। श्वेत अंगराग कर कमल विराजै कंज पुस्तक कास्मीरमालाशुकस्वेत तन है // मंत्र मय निजानंदरूपकां जपतत्रिहदेव तोकांसेवैकरैजडता कदन है। भारतीतूंभवसिंधु आरती हरनहारी टारती वि. घनवास करऊ वदन है // 16 // वषांनततरौरूप सगुननि गुनवैद पैनलहै भेदभानुउदितसंकाशिनी / अतुलअपार सा रमहिमाउरधार के भये पंचदेवतेरे मंचमंदहासिनी / कंच नकहत निजगौरवकृपातै अंवलीला तैसकलवेदतंत्रअनुसासि नी / सुधासिंधुवासिनी प्रकाशिनी परमतत्वनासिनी। असु रहोहुहृदय विलासिनी // 17 // // कवित्त // रुद्रओसदासिवमें सूरजविनायक में, विष्णु और विष्णु. हुकी मायाके विलासमें / धरनी सलिलवात मित्रमें समीरन में, त्यांहीद्विजराज तारागनमें आकासमें // वेदमें पुराननमें सर्वोपरतंत्रनमें, राममें रहीममें कुरान अवकास में। नरऔर नारिन में चराचरविश्वहू में, जितजित देखहु तित त्रिपुरा प्रकास में // 18 // त्रिपुरास्वरूप समरस सुखसिंधू जामें, मेरोमन मीनजुगजुगमें पड्यारहै / जाग्रतविषय मनजीवन केजैसे, मेरेत्रिपुरा सनेह ज्ञानदीपक जग्यो रहे // त्रिपुरा For Private and Personal Use Only