________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 120 ) अधिकार पर स्थापनकीये हैं इसी का मारकंडेयपुरण में महालक्ष्मी भद्रकाली अंबिकादुर्गा भगवती कात्यायिनी चंडिका इत्यादि नामां से ओर अन्यत्र उग्रचंडी प्रचंडा करके व. रणन कीया है कोई समय भंडासुरनामा दैत्यमहिषासुरादिकां से भी अधिक समर्थ हुआ है, उसने सबदेवों को जीत अधिकार उनका छीन लीया ओर वेदमार्ग विछिन्न करदिया तो महिषासुरादिक जो सप्तसती में लिखा है, उन सब दैत्यनकां प्रगट कीये है तब श्रीमन्महात्रिपुरसुंदरी ने श्रीदुर्गा को प्रकट करके सब दैत्योंको दुर्गासै मरवाये है // और भंडासुरादि दश दैत्यन कां प्रकट कीये है तो श्रीललिता जूनी चतुर्भुजस्वरूप है जिस में दोय जो दक्ष भुजा का करपल्लब के दस नखां से मत्स्यदिक दसही विष्णु का अवतार प्रकट करके दसही असुरां का उनसेहि मरवाये है और बोहतसी फोज वडे योद्धार महारथियों को श्रीललिताजुकी शक्तिने और केई शक्तियां की मालिक जो संपदीश्वरी अस्वारूढानाकुली तिरस्करण कादि नाम जो शक्ति है सो सब कितनीक दुरधर्ष फोज कुंमार खपाई है और सब असुर जिनसै अत्यधिकपत्रह असुर कूटयोधी थे उनका कामेश्वर्यादि पंचदश शक्तियां ने वडाभारी युद्ध करके. उनको मारे है और प्रथम युद्ध कुछ हुआ था उस वक्त में भंडासुर ने प्रथम विघ्नयंत्र शक्ति सेनापर चलाया तो सबकुं चक्र केणें लगगयो के कोणमंत्रिपणी है। और कोण दंडिनी है हम नहीं मानता है ललिता For Private and Personal Use Only