________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 116 ) भी शक्ति मान की प्रसंसा होती है / शक्ति रहित का नहीं होती रुद्रादि रहित होगा तो निंदित नहीं होगा जो शक्ति रहित होगा वही निंदा का आश्रय होगा शक्ति सर्वत्र व्यापक है ब्रह्मांडपुराण में कया है शक्तः सर्वत्र संभवः चि. छक्तिश्चेतनारूपा जडशक्तिर्जडात्मिका कोई पदार्थ शक्तिरहित नहीं है। सब पदार्थ का और तिनकी शक्ति का निदान वो पराशक्ति ही है तिसका कभी घाटवाढ़ नही होता और अनित्या कभी नहीं होती चैतन्य रूपसदा एक रस परब्रह्म तें अभिन्न भई रहती है और सब देवतों का मायुः प्रमाण है / ओरशक्तिः कालकलना ते सून्य हे महाबिंदुरूपिणी निराकार सृष्टि समय मैं गुणां का आश्रय कर्ति है तिन का अंश शिव विष्णवादि देवता है तिश वास्ते सब ते अधिक सवतै उत्तम सब की ईश्वरी सब का उत्पन्न करने हारी सवतै परे सब की पूज्याभगवती पराशक्ती है - ह्मांठपुराण मार्कंडेयपुराणादिकां में बहुत प्रपंच कीया है, महिषासुरादिक दैत्यांने समर में सब देवों को भगादिये है और सब का अधिकार छीन लीया है, तब सब देवता दुखी होकर श्रीपराशक्ति का पाराधन कीया तब पराशक्ति ने अपना अंस सब देवतावों में अपने अपने कार्य करणे के लिये जो रखा था उसमें सै फेर पराशक्ति ने अपनी इच्छा सै सब देवशक्तिकां अंसते सवरूप एकत्र करके नारी रूप महिषासुर मर्दिनीने दुर्गाका अवतार धारण करके देवताओं की सहायता करीहै अरु महिषासरादि दैत्यों को उनकी फोज. सहित आप अकेली ही नेमार करके देवताओं को अपने अपने For Private and Personal Use Only