________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 106 ) ली वान्छितार्थप्रदायिनी // 13 // मधुकैटभनाशिन्या स्तमो वत्याजगत्सुवः // त्रिगुणायानिर्गुणाया अस्याभक्तिःसदास्तुमे // 14 // इतिश्री महाकाल्यत्रतारंचरित्रंच // --0000000-- ततोनंतरमेवासीद्रंभपुत्रोमहाबलः // महिषासुरेंद्रोरुद्रांशो वरहप्तोऽसुराधिपः // 1 // विष्णुरुद्रमहेंद्रादीन् देवान्संजित्य संगरे // सश्चिाभजत्सर्व देवानामधिकारताम् // 2 // दुःखा दुःखतरंप्राप्ताः विचरंतोमहीतले // माइवचते देवाः शरणं परमेश्वरीम् // 3 // जग्मुश्चमनसावाचा कर्मणादितिनंदनाः स्तुतिंचकुर्महेशान्या विष्णुमुख्याश्चदेवताः // 4 // निर्जरे भ्यश्वसर्वेभ्यो निःसृत्यैक्यंगतंमहः // महत्संप्रज्वलन्मेरु रिवा वस्थितमद्भुतम् // 5 // तदेवचाभवनारी रूपंचसुमनोहरम् // दृष्टवंतःसुराःसर्वे परंहर्षमवाप्नुवन् // 6 // उपायनानिश्री देव्यै ददुःसर्वेसुरामुदा // स्तुतियथामतिश्चकु जयजयेतिविभा षिणः // 7 // महिषासुरादिदैत्यानां बधायस्याधिकारताम् // प्राप्तुंयज्ञस्यभागांश्च यस्यादेव्याःप्रसादतः // 8 // ततोभग वतीदेवी देवानांहर्षवर्द्धनम् // अट्टाहासमुच्चैस्तुभद्रकालीचकः रह // 6 // श्रुत्वाहासंश्रीदेव्या महिषःक्रोधमूर्छितः // वृतो बलेन महता देवींप्रतिसमागतः // 10 ॥कोटिशःकोटिशो दैत्या युयुधुर्युगपद्रणे // सहस्रभुजधारिण्या महाबलपराक्रमाः // 11 // निजशस्त्रास्त्रसंपातैः सर्वदैत्यारणेहताः // महादे पाश्चण्डिकया लीलयामहिषोहतः // 12 // रणेहताश्चते For Private and Personal Use Only