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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 104 ) तत्सर्वैत्रिपूरेतिच नानापूर्णीकरोमीशे // 76 // इतित्यपूर्णीकरणम् // अन्तयामिणिहृदयात्पूजार्थंचागतारूपया // हृदये स्वीयेधाम्रिहि गत्वामेस्थीयतांतत्र 77 // इतिविसर्जनम् // श्रीदुर्गाम्बायै नमः॥ सत्यलोकशीर्षायै नमः सत्यलोकशीर्ष पूजयामी नमः॥तपोलोकललाटायै नमः॥ तपोलोकललाटं पं० // जनोलोकमुखायैनमः जनोलोकमुखंपूजयामिनमः // महर्लोककंठायै नमः महर्लोककंठं पू०॥ स्वर्लोकवक्षःस्थला यै नमः स्वलोकवक्षःस्थलं पू० // भुवर्लोकहृदयायै नमः / / भुवर्लोकहृदयं पू० // भूलॊकोदरायै नमः भूलोकोदरं पू० // अतललोककटितटायैनमः अतलोककटितट पृ०॥ वितललो कशक्थिन्यै नमः॥ वितललोकशक्थिनी पू० // सुतललोक जानुयुग्मायै नमः सुतललोकजानुयुग्मं पू० // तलातललोक जंघायुगलायै नमः // ॐ तलातललोकजंघायुगलं पू० // ॐ महातललोकगुल्फायै नमः // ॐ महातललोकगुल्फो पू० // ॐ रसातललोक पादपृष्टयुगलायै नमः // ॐ रसातल लोकपादपृष्टयुगलं पू०॥ॐ पाताललोकपादतलद्वयायै नमः। पाताललोकपादतलवयं पू० // ॐ चतुर्दशभुवनसकलारी रायै नमः // ॐ चतुर्दशभुवनसकलशरीरं पू० // ॐ सत्यलोकशीर्षादि पाताललोकपर्यंत विराव्यष्टि समष्टिरूपायै महात्रिपुरसुंदर्यै नमः // ॐसत्यलोकशीर्षादि पाताललोक चर्णपर्यंत विराव्यष्टि समष्टिरूपिणी श्रीमहात्रिपुरसुंदरी पू०॥ इतिबृह्म विश्वज्ञानरूपिणी पूजासमाप्त। // For Private and Personal Use Only
SR No.020537
Book TitleParambika Stotravali
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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