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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 103 ) भिन्नानिवस्तुनि त्वजातानितवैवते // मयानिवेदितान्यम्ब त्वद्योग्यानिसुगृह्यताम् // 66 // इतिसर्वपूजायोग्यसर्ववस्तु समर्पणम् // नीराजयामिदीपस्त्वां यद्दीप्त्यादीपितंजगत् // तांसर्वसाक्षिणीं दृश्यां सुनिरीक्ष्ये रूपान्विताम् // 67 // इति नीराजनम् // मंदारपारिजातादि पुष्पवृष्टिं पदाब्जयोः // कारुण्यामृतवर्षिण्या स्तवकुर्वेसुरार्चिते // 68 // इतिपुष्पकृष्टिसमर्पणम् // मंदारपारिजातादि भूरुहारामवाशिनी // कुर्वेपादाब्जयोः पुष्पवृष्टिंसच्चंपकादिभिः // 69 // इतिपुष्पवृष्टि लमर्पणम् // नानारत्नैःस्वर्णरूप्य पुष्पैः पुष्पाञ्जलिंशिवे // तवपादाब्जयोः कुर्वे भूतिदे भूतिरूपिणि इति नानारत्नवण. रूप्य पुष्पाञ्जलिसमर्पणम् // 69 // ॐ राजोपचारानखिलान् छत्रचामरपूर्वक न् // नृत्यगीतादिकान्सर्वं सामाइयैतसमर्पये ॥७॥इति राजोपचारसमर्पणम्॥ ॐ देशकालानवछिन्नेतव. कुवेंप्रदाक्षिण म् // परितोभक्तरूपया धारिताद्भुतविग्रहे // 71 // इतिप्रदक्षिणा // ॐ विरंचिविष्णुरुद्रादि वंदितांघिसरोरुहे // पादारविंदयोस्तेस्तु नतिर्मेष्टांगकैः कृता // 72 // इतिसाष्टांगप्रणतिः // कल्पलताकामदुघा चिंतामणि चरणपङ्कजेया चे // त्वामहमम्बरूपाधि दहित्वञ्चरणकंजयोक्तिम् 72 // इतिप्रार्थना // अदयरूपानंते निरवधिकैश्वर्यरूपसौंदय // अज्ञानिनमामिशे कृतापराधक्षमस्वाम्ब // 74 // इतिक्षमा पनम् // यस्याश्चरणसरोजे नार्पितमीशेहिकर्मबंधाय // भव तिनृणांतस्यास्ते समर्पितंकर्मसर्वतत् // 75 // इतिसर्वकर्म समर्पणम् // यन्न्यूनंवाह्यधिकं कृतमन्यत्रमानसेनाम्ब // For Private and Personal Use Only
SR No.020537
Book TitleParambika Stotravali
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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