________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (98) मधुपर्क प्रयछामि गृहाण त्वं क्षमस्त्रमे 7 // इतिमधुपर्क / ॐ पुनरावनं शुद्धतगयै सम्यगर्पये // स्वनामशुद्ध संप्राप्तिकरे मातहाणते // 8 / / इतिपुनराचमनम् // ॐ मलयाचल सं जातनिर्मिते सुंदरारुति // देवार्चिताभ्यां पादाभ्यां पदूके गृह्यतांशिवे // 9 // इनिपादुकापर्णम् // ॐ यागस्थानातुश भगात् स्नानालयमनुत्तमं प्रवेशयामित्वां मातःस्नानायपरमोत्तमे // 10 // इतिस्नानालयप्रवेशनम् // तत्रासनं प्रयछामि हैमं पीठमनोहरम् // स्थित्वास्मिन्नाम्बके सर्वाधाररूपेरुतार्थय // 11 इत्यासनम् // पादतीर्थे तीर्थजलं सुगन्धाक्षतपुष्पकम् हिरण्यपात्रसंभूतं पाद्यन्तेंध्योःसमर्पये // 12 // इतिवाद्यम्। अय॑मष्टांगसंयुक्तं सछास्त्रविधिनार्पितम् // गृहाण रूपयेशानि रत्नपात्रस्थमज्वलं // 13 // इत्यय॑म् // एलालवंगसंमिश्र सुधाणेनामृतीकृतं // जलमाचम्पतांस्वर्ण पात्रस्थं शुद्ध रूपिणि // 14 // दधिसर्पिमधुन्यंव मिश्रितानिमनोहरे // मधुमत्यर्पितानीशे स्वात्मीकत्यकृतार्थय // 15 // इतिमधु पर्कम् // पुनराचमनीयंते शुद्धेनैवसुवारिणा // ददाम्यम्ब तव प्रीत्यै गृहाणत्वंरूपानिधे // 16 // इतिपुनराचमनम् // सुगन्धितैलामलकैः केशस्तिशोधयाम्यहम् // मलहीनस्वतः श्याम स्निग्धकेशसुगंधिनि // 17 // इतिसुगन्धतैलामलका पणम् // सुगन्धिमिश्रितैर्मात रुष्णतीर्थोदकैः शिवैः // सुखस्य स्तवस्नानं कारयेजगदम्बिके // 18 // इत्युष्णोदक स्नानम् // सुरभिस्नेहसंयुक्तः सुगन्धिजलमिश्रितैः // वस्त्रसं चालितै रनपिष्टैःरुद्वर्तनं कुरु // 19 // इत्युद्वर्तनम् // पुष्य For Private and Personal Use Only