________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वा हृदिकाल्पताम् // 55 // मूर्ति धात्वाविरचितां सम्यप्राणप्रतिष्ठिताम् // महात्रिपुरसुन्दर्याः पूजयेत्साधकोत्तमः // 56 // अंगप्रत्यंगमम्बाया ध्यायध्यायंप्रपूजयेत् // एभिश्त्तालौकिकीपूजामंत्रैःसाधकसत्तमः // 57 // करोति पूजनं भक्तो नरोविगतकल्मषः // मनसाचिन्तितं काय तत्सर्व सिध्यति ध्रुवम् // 58 // निष्कामोदर्शनार्थवै पाण्मासिक त्रिकालकम् ॥यजेदेकाग्रमनसा स्वेष्टसिद्धिमवाप्नुयात् // 59 // इतिश्रीपराम्बिकांगप्रत्यंगपूजनं संपूर्णम् // अथ मानसीपूजाविधिलिख्यते // सामरस्यस्वरूपायाः करोम्यावाहनं तव // सर्वगे क्षम्यतां मातः स्वागछ मणिमंदिर // 1 // इत्यावाहनम् / / उद्यत्सहअरविधामसमानधामां मंदस्मितेक्षणयुतां कुचभारशोभाम्॥ पाशांकुशैक्षवधनुः स्मरबाणहस्तां ध्यायेसदापराशेवांकगतां परांवाम् // 2 // इतिध्यानम् // यस्यां प्रतिष्टितं जातं विश्व मेतच्चराचरम् // तस्यै तुभ्यं ददे रत्नहेमसिंहासनं मुदा 3 // इत्यासनम् // गंगापाद्यजले तुभ्यं गंधपुष्पाक्षतान्वितम् // पायंसमर्पये मातहतां क्षम्यतां मयि / / 4 पाद्यम् // अनयतां जनायांति यत्कृपालेशलेशतः // अध्यं समर्पयेतस्यै ह्यष्टांग विधिपूर्वकम् // 5 // इत्यय॑म् // स्वतः शुद्धस्वरूपायै परशुद्धिविधायिनि // लवंगादिजलेनाम्बशिवे आचमनं ददे // 6 // इत्याचमनम् // स्वमाधुर्यरसामिष्टकतामृतरसे शिवे For Private and Personal Use Only