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अहराइ एगराई भिक्खूपडिमाण वारसगं ॥ ८४९ ॥ पडिवज्जइ एयाओ संघयणधिइजुओ महासत्ता । पडिमाओ भाषियप्पा सम्मं |3|२८ भिक्षु पञ्चाशक
गुरुणा अणुण्णाओ।। ८५० ॥ गच्छे च्चिय णिम्माओ जा पुव्वा दस भवे असंपुण्णा । णवमस्स तइयवत्थू होइ जहण्णो सुयाहिगमो है। प्रतिमा | ।। ८५१ ।। बोसहचत्तदेहो उवसग्गसहो जहेच जिणकप्पी । एसण अभिग्गहीया भत्तं च अलेवडं तस्स ।। ८५२ ।। गच्छा विणिक्ख
पंचाशकम् ॥ ५३ ।।४मित्ता पडिवजइ मासियं महापडिमं । दत्तेग भोयणस्सा पाणस्सवि एग जा मासं ( मास जा)८५३।। आइमज्झवसाणे छग्गो-४
यरहिंडगो इमो णेओ । णाएगरायवासी एगं च दुगं च अण्णाए । ८५४ ॥ जायणपुच्छाणुण्णावणपुवागरणभासगो चेव । आगमणवियडगिहरुक्खमूलगावासयतिगोत्ति ।। ८५५ ।। पुढवीकट्ठजहत्थिण्णसारसाई ण अग्गिणो बीहे । कट्ठाइ पायलग्गं णवणेइ तहच्छिकणुगं वा ।।८५६।। जत्थत्थमेइ सरो न तओ ठाणा पर्यपि संचरइ । पायाइ ण पक्खा (खा) लइ एसो वियडोदगेणावि ॥८५७॥ दुस्सहत्थिमाइ तओ भएणं पयंपि णोसरई । एमाइणियमसेवी विहरइ जाऽखंडिओ मासो ॥८५८|| पच्छा गच्छमईई एवं दुम्मासि (एव दुमासी तिमासि) जा सत्ता। णवरं दत्तिविवड्ढी जा सत्त उसत्तमासीए।।८५९|| तत्तो य अहमी खलु हवइ इहं पढमसत्तराइंदी। तीए चउत्थ चउत्थेणऽपाणएणं अह विसेसो ॥ ८६० ।। उत्ताणग पासल्ली सज्जी वावि ठाणगं ठाउं । सहउवसग्गे घोरे दिव्वाई तत्थ अविकंपो ।। ८६१ ।। दोच्चावि एरिस च्चिय बहिया गामाइयाण णवरं तु । उक्कुडलगंडसाई दंडायपओ ब ठाऊणं ॥८६२॥ तच्चावि एरिस च्चिय णवरं ठाणं तु तस्स गोदोही। वीरासणमहवावि हु ठाएज्जा अंबखुज्जो उ ॥ ८६३ ।। एमेव अहोराई छट्टे भत्तं अपाणगं णवरं। गामणगराण बाहिं वाघारियपाणिए ठाणं ।। ८६४ ॥ एमेव एगराई अट्ठमभत्तेण ठाण बाहिरओ। इसीपभारगओ अणिमिसणयणेगदिट्ठीए (ओ)॥ ८६५ ॥ साह दोवि पाए वाघारियपाणि ठायइ हाणं। वाघारिलबियभुओ अंते य ।
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