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जीवसमासे 8 नो असण्णी केवलनाणी उ वियोआ ।। ८१ ॥ विग्गहगइमावन्ना केवलिणो समुहया अजोगी य । सिद्धा य अणाहारा सेसामानोन्मा२ प्रमाणे
आहारगा जीवा ॥ ८२ ॥ नाणं पंचविहंपिय अण्णाणातिगं च सव्व सागारं । चउर्दसणमणगारं सव्वे तल्लक्खणा जीवा ॥८३ ॥ एवं जीवसमासा बहुभेया वनिया समासेणं । एवमिह भावरहिया अजीवदया उ विनेया ॥ ८४ ॥ ते उण धम्माधम्मा आगास
परमाण्वा॥२४२॥ अरूविणो तहा कालो। खंधा देस पएसा अणुत्तिविय पोग्गला रूवी ॥८५॥ गइठाणवगाहणलक्खणाणि कमसो य वत्तणगुणो य।
दिश्रेण्यन्तं दारूवरसगंधफासाइ कारणं कम्मबंधस्स ॥ ८६ ॥ सत्यप्ररूपणाद्वारं १
दब्वे खेत्ते काले भावे य चउव्विहं पमाणं तु । दव्य पएसविभागं पएसमेगाइयमणंतं ॥८७॥ माणुम्माणपमाणं पडिमाणं गणि-18 | यमेव य विभागं । पत्थ('एत्थ)कुडवाइ धन्ने चउभागविवडियं च रसे ।।८८॥ कंसाइयमुम्माणं अवमाणं चेव होइ दंडाई । पडिमाणं|४| धरिमेसु य भणियं एकाइयं गणिमं ।। ८९ ॥ दंडधणूजुगनालिय अक्खो मुसलं च होइ चउहत्थं । दसनालियं च रज्जु वियाण | अवमाणसण्णाए ॥९० ॥ खेत्तपमाणं दुविहं विभाग ओगाहणाए निप्फन्नं । एगपएसोगाढाइ होइ ओगाहणमणेग ॥ ९१ ॥ अंगुल विहत्थि रयणी कुच्छी धणु गाउयं च सेढी य । पयरं लोगमलोगो खत्तपमाणस्स पविभागा।। ९२ ।। तिविहं च अंगुलं पुण उस्सेहंगुल पमाण आय च । एकेकं पुण तिविहं सूई पयरंगुल घणं च ॥९३।। सत्येण सुतिक्खेणवि छेत्तुं भेत्तुं च जं किर न सका ।। |ते परमाणु सिद्धा वयंति आई पमाणाणं ॥ ९४ ॥ परमाणू सो दुबिहो सुहुमो तह वावहारिओ चेव । सुहुमो य अप्पएसो ॥२४२॥
ववहारनएणणंतओ खंधो ॥९५॥ परमाणू य अणंता सहिया उस्सहसण्डिया एक्का । साऽणंतगुणा संती ससहिया सोऽणु वव-| 12 हारी ॥९६॥ खंधोऽणतपएसो अत्थेगइओ जयम्मि छिज्जेज्जा। भिज्जेज्ज व एवइओ ('एगयरो) नो छिज्जे नो य भिज्जेज्जा ॥९७॥२॥
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