SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 247
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवसमासे है परमाणू तसरेणू रहरेणू अग्गयं च वालस्स । लिक्खा ज़्या य जवो अट्ठगुणविवाड्डिया कमसो ।। ९८ ॥ अद्वैब य जवमझाणि समयादि २ कालद्वार अंगुलं छच्च अंगुला पाओ । पाया य दो विहत्थी दो य विहत्थी भवे हत्थो ॥ ९९ ॥ चउहत्थं पुण धणुयं दुभि सहस्साई पल्योपम गाउयं तेसिं । चत्तारि गाउया पुण जोयणमेगं मुणेयव्वं ॥ १०॥ उस्सेहंगुलमेगं हवइ पमाणगुलं दुपंचसयं । ओसप्पिणीए 8 सागरोपमे ॥२४३॥ पढमस्स अंगुलं चक्कवट्टिस्स ।।१०।। तेणगुलेणं जं जोयणं तु एत्तो असंखगुणयारो (०एहिं)। सेढी पयरं लोगो लोगा गंतो अलोगो य ॥१०२ ॥ जे जम्मि जुगे पुरिसा अट्ठसयंगुलसमृसिया हुंति । तेसि सयमंगुलं जं तयं तु आयंगुलं होइ ॥ १०३ ॥ देहस्स8 ऊसएण उ गिहसयणाई य आयमाणणं । दीवुदहिभवणवासा खेत्तपमाणं पमाणेणं ॥ १०४ ।। प्रमाणद्वारं २ कालेत्ति य एगविहो कालविभागो य होइ णेगविहो । समयावलियाईओ अणंतकालोत्ति णायचो ॥१०५ ॥ कालो परमनिरुद्धो अविभागी तं तु जाण समओत्ति । तेऽसंखा आवलिया ता संखेज्जा य ऊसासो ॥ १०६ ॥ हहष्णगल्लुस्सासो एसो पाणुत्ति सनिओ एक्को । पाणू य सत्त थोवो थोवा सत्तेव लवमाहू ॥१०७ ॥ अद्वत्तीस तु लवा अद्धलवो चेव नालिया होइ । दो टू नालिया मुहुत्तो तीस मुहुत्ता अहोरत्तो ॥ १०८ ।। तिन्नि सहस्सा सत्त य सयाणि तेसत्तरी य उस्सासा । एकेकस्सेवइया हुँति || मुहुत्तस्स उस्सासा ॥ १०९ ॥ पन्नरस अहोरत्ता पकखो पक्खा य दो भवे मासो । दो मासा उउसना तित्रि य रियवो अयणमेग ॥११०॥ दो अयणाई वरिसं तं दसगणवड़ियं भवे कमसो । दस य सयं च सहस्सं दस य सहस्सा सयसहस्सं ॥ १११ ॥ वास-ICI0930 सयसहस्सं पुण चुलसीइगुणं हवेज्ज पुग्वंगं । पुव्वंगसयसहस्सं चुलसीइगुणं भवे पुव्वं ॥ ११२ ।। पुवस्स उ परिमाणं सारं खलु। दाहोंति कोडिलक्खाओ । छप्पन च सहस्सा बोद्धव्वा वासकोडीणं ॥११३ ।। पुर्वगं पुवंपि य नउयंग चेव होइ नउयं च । नालि ANSACTERCOSSASSES For Private and Personal Use Only
SR No.020535
Book TitlePanchashak Mulam
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1928
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy